Silkyara Tunnel Accident: उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में बीते 14 दिनों से फंसे मजदूरों को जल्द रेस्क्यू की उम्मीद है, लेकिन उनकी इंतजार हर दिन के साथ और लंबा होता जा रहा है. मजदूरों के रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन नाकाम हो गई है. खुदाई के दौरान कई बार तकनीकी कमी के कारण ड्रिलिंग रोक देनी पड़ी, इसके बाद ऑगर मशीन के ब्लेड ही फंस गये, जो अगल से परेशानी का सबब बन गया. अब ऑगर मशीन के मलबे में फंसे हिस्सों को काटकर हटाने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा मशीन मंगाई गई है.
ऑगर मशीन के अवशेष बन रहे बाधा
रेस्क्यू टीम का कहना है कि बचाव कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना जरूरी है. वहीं, श्रमिकों को टनल से बाहर निकालने के लिए वर्टिकल खुदाई की जा रही है. ऑगर मशीन के बाद फिलहाल हाथ से ही खुदाई का काम किया जा रहा है. मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए मलबे में हाथ से ड्रिलिंग के जरिए पाइप डालने होंगे. वहीं, वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए पहाड़ी की चोटी पर सुरंग के ऊपर एक ड्रिल मशीन भी भेजी गई है.
रेस्क्यू में जुटी हैं कई टीम
गौरतलब है कि टनल में फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए कई टीमों को लगाया गया है. इसी कड़ी में भारतीय सेना की कोर ऑफ इंजीनियर्स के समूह मद्रास सैपर्स की एक यूनिट बचाव काम में मदद के लिए आज यानी रविवार को घटनास्थल पहुंची है. वहीं, अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स का कहना है कि अब तक की प्रगति शानदार है. प्लाज्मा कटर से मलबे में फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को निकालने की प्रक्रिया जारी है. ऑगर जिस जगह फंसा है उसे वहां से पूरी तरह बाहर निकालने के लिए काम चल रहा है.
चट्टानों का हो रहा परीक्षण
इधर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने से अधिकारियों ने चट्टानों का परीक्षण करना शुरू कर दिया है. वहीं, विदेशी विशेषज्ञ ने कहा है कि रेस्क्यू में एक महीने तक का समय लग सकता है. गौरतलब है कि सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में ड्रिल करने में इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन के ब्लेड बीते शुक्रवार रात मलबे में फंस गए थे.
कैसे हुआ था हादसा
बता दें, चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे इसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे. तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं. श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं.
भाषा इनपुट से साभार