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Varanasi: सीएम योगी बोले- नमामि गंगे से स्वच्छ हुआ जल, प्राकृतिक खेती से एक एकड़ में 15 हजार तक की बचत…

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि नमामि गंगे परियोजना के लागू होने के पहले और लागू होने के बाद के अंतर आया है. पहले गंगा में स्नान पर पूरे शरीर में लाल चकत्ते पड़ जाते थे. लेकिन, अब ऐसा नहीं होता है.गंगा में डॉल्फिन फिर नजर आने लगी है.

Varanasi: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के प्रयासों से गंगा नदी स्वच्छ हुई है. नमामि गंगे परियोजना के बेहतर परिणाम सामने आए हैं. सरकार पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही है. मुख्यमंत्री वाराणसी में स्वतंत्रता भवन में प्रदर्शनी का अवलोकन और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी ‘सुफलाम’ में सम्मिलित होने के मौके पर बोल रहे थे.

पहले काशी आने में नजर आती थी खराब स्थिति

उन्होंने कहा कि 2017 के पहले भी हम लोग काशी में आते थे. नमामि गंगे परियोजना के लागू होने के पहले हालात दूसरे थे. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ के अफसरों ने बताया कि नमामि गंगे परियोजना के लागू होने के पहले और लागू होने के बाद के अंतर आया है. पहले जब वे लोग प्रैक्टिस करते थे तो पूरे शरीर में लाल चकत्ते पड़ जाते थे. यह दिखाता था कि गंगा का जल आचमन और स्नान के लायक भी नहीं बचा है.

सरकार के किए प्रयासों से गंगा जल हुआ शुद्ध

मुख्यमंत्री ने कहा कि वहीं एनडीआरएफ के अफसरों के मुता​बिक आज जब वे प्रैक्टिस करते हैं, तो कोई लाल चकत्ते नहीं हेाता है. सीएम योगी ने कहा कि ये दिखाता है कि मां गंगा का जल अब शुद्ध है. उन्होंने कहा कि गंगा की एक और बड़ी पहचान गैंजेटिक डॉल्फिन थी. आज गंगा शुद्ध होने के कारण इसमें वह डॉल्फिन दिखाई दे रही है.

नमामि गंगे के बाद स्थिति में बदलाव

मुख्यमंत्री ने नमामि गंगे परियोजना को लेकर बदली स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि कानपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2019 में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में शामिल हुए थे. तब कानपुर में सीसामऊ नाले में 14 करोड़ लीटर प्रतिदिन सीवेज गंगा में डाला जाता था. यह सबसे क्रिटिकल प्वाइंट था, एक भी जलीय जीव नहीं बचा था. आज स्थिति पूरी तरह अलग है. आज यहां मछली और जलीय जीव दिखाई दे रहे हैं. यह सकारात्मक परिवर्तन है.

27 जनपदों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा

मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि विभाग ने भी स्थिति सुधारने के लिए व्यवस्था बनाई है. भारत और राज्य सरकार ने मिलकर इस दिशा में काम किया है. इसके परिणाम देखने को मिले हैं. गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. इसको प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने अपने स्तर पर काम किया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन कर दिया गया है. हम इन कार्यक्रमों को आगे बढ़ा रहे हैं. सभी कृषि विज्ञान केंद्रों को इसके साथ जोड़ा गया है.

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प्राकृतिक खेती से लागत में कमी, गुणवत्ता में इजाफा

सीएम योगी ने कहा कि प्राकृतिक खेती से जो उत्पाद आता है, उसकी केमिकल, पेस्टिसाइड वाली खेती के उत्पाद से तुलना की गई तो पता चला कि गो आधारित प्राकृतिक खेती ज्यादा बेहतर है. इसके जरिए किसान एक एकड़ में 12 से 15 हजार की बचत कर गुणवत्तापूर्ण उत्पाद हासिल कर सकता है. इस तरह लागत के लिहाज से ये खेती कहीं ज्यादा बेहतर है. इससे पता चलता है कि किसान की लागत को कितना कम किया जा सकता है. केंद्र और राज्य सरकार का प्रयास है कि किसान की आमदनी को दोगुना करने के लिए उसकी लागत को कम किया जाए.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीएचयू में सुफलाम कार्यक्रम में भाग लेने के बाद टेंट सिटी की तैयारियों को देखने जाएंगे. अस्सी घाट से बोट के जरिए टेंट सिटी ले जाने की योजना है. फिर, श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन करेंगे.

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