Varanasi News: वाराणसी में श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का 13 दिसंबर को होने वाले लोकार्पण के लिए मंदिर प्रशासन की तैयारी अपने अंतिम चरण में चल रही है. एक माह तक लगातार चलने वाले महोत्सव को लेकर प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक से लेकर महापौरों का सम्मेलन और उद्यमियों, किसानों व पर्यटन उद्योग के क्षेत्र से जुड़े लोगों का जुटान भी यहीं होगा.
बता दें कि महादेव और माता गंगा के बीच की दूरी भक्तों को अखरती थी. महादेव को उत्तर वाहिनी गंगा का जल इतना प्रिय है कि जलाभिषेक करने वालों की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. हालांकि, काशी में अनियोजित विकास और शासन-प्रशासन की अनदेखी के चलते द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक काशी विश्वनाथ और मोक्षदायिनी गंगा के बीच अच्छी-खासी दूरी हो गई थी. इस दूरी को मिटाने का कार्य पीएम नरेंद्र मोदी ने किया है.
गौरतलब है कि अब विश्वनाथ धाम के चौक से श्रद्धालु बाबा के दर्शन के साथ ही मोक्षदायिनी गंगा को भी प्रणाम कर सकेंगे. इसके साथ ही श्रद्धालु गंगा स्नान कर जलासेन घाट से सीधे बाबा विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए आ सकेंगे. इसी के साथ ही महादेव के प्रिय मास सावन में काशी में गंगा उनके चरण भी पखार सकेंगी. महादेव के भक्तों के लिए अब काशी विश्वनाथ मंदिर और माँ गंगा को एक साथ आमने-सामने देखने का सौभाग्य प्राप्त होगा.
इसी क्रम में आगंतुक सीधे जलासेन घाट से मंदिर तक पहुंच सकें. गंगा में घाट का निर्माण पहले ही हो चुका है, जबकि रैंप की फिनिशिंग का काम चल रहा है. ये सारे कार्य पहले चरण के अंतर्गत होने हैं. दूसरे चरण के कार्यो में गंगा व्यू गैलरी के रूप में जाने जाने वाले विशाल मंच समेत निचले मंच का निर्माण किया जा रहा है जिसका कि उपयोग गंगा आरती और सांस्कृतिक गतिविधियों जैसे कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा. दोनों प्लेटफार्मों के बीच पिरामिड के आकार में सीढ़ियों का निर्माण किया जा रहा है. गंगा की ओर के एंट्री प्वाइंट पर श्रद्धालुओं को सीढ़ियों से होकर उच्चतम बाढ़ बिंदु तक आना होगा. इसके बाद उन्हें मंदिर चौक जैसे स्थान तक जाने के लिए एस्केलेटर की सुविधा भी मिलेगी.
रिपोर्ट : विपिन सिंह