Varanasi News: काशी के घाटों पर बाबा भोलेनाथ के डमरू के साथ-साथ झाल-मंजीरा और फागुन गीतों की बयार भी एकसाथ बह चली है. काशी में रंग भरी एकादशी के साथ ही घाटों पर फागुन गीतों की बौछार देखने को मिलती है. इसके साथ ही काशी में रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर होली खेली जाती है. इस बार की होली काशी में बहुत खास है.
इस बार के फागुन गीतों में बुलडोजर बाबा से लेकर योगी- मोदी जैसे शब्दों का खूब जिक्र हो रहा है. जिस तरह से योगी आदित्यनाथ सरकार की यूपी में वापसी हुई है, उसे लेकर काशीवासियों ने अलग तरह से अपनी खुशी का अंदाज-ए-बयां किया है, जो अद्भुत है. भगवान भोलेनाथ को समर्पित फागुन गीतों में चुनावी बयार की धमक खूब देखने को मिल रही है.
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घाटों के शहर बनारस में यूपी के चुनाव खत्म होते ही वाराणसी में होली का खुमार देखने को मिल रहा है. यहां के कलाकारों ने वाराणसी के अस्सी घाट पर आज सुबह होलियाना अंदाज में गाना गाते हुए नजर आये तो वहीं गाने के बीच में सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के नाम को भी शामिल किया.
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काशीवासियों ने ‘तन से मन पर रंग लगाकर होली खेले’, ‘शिवशंकर खेले मशाने में होली’, ‘चिता भस्म की रोरी हो’, ‘दिगम्बर खेले मशाने पर होली’ सहित कई फागुन के गीत गाए. काशी में यह मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ माता पार्वती का गौना (विदाई) करा कर अपने धाम लाते हैं, जिसे उत्सव के रूप में काशीवासी मनाते हैं. इसे होली का प्रारम्भ भी माना जाता है. इस उत्सव में सभी शामिल होते हैं.
इस बार की होली विधानसभा चुनाव जीतने के बाद लोगों के लिए डबल खुशी का अवसर लेकर आया है. काशी में होली की हुड़दंग और मस्ती तो पूरे विश्व में प्रसिद्ध हैं. इस बार के फागुन के गीतों में चुनावी लहर का असर खूब देखने को मिल रहा है. फागुन गीतों में बुलडोजर बाबा से लेकर योगी मोदी का खूब जिक्र हो रहा है. काशी की होली की बात ही निराली है. दुनिया भर में लोग होली को मनाते हैं, पर बनारस में होली को पहनते हैं… ओढ़ते हैं… बिछाते हैं… उसे जीते हैं.
रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी