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BHU में गोबर पाथने की वर्कशॉप हुई आयोजित, BJP सांसद ने कहा- ऐसे कैसे छात्र उच्च शिक्षा करेंगे प्राप्त

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कुछ दिनों पहले गोबर पाथने की वर्कशॉप दी गयी थी. जिसके बाद सदन में बीजेपी की सांसद संघमित्रा मौर्य ने अनुचित ठहराते हुए प्रोफेसर पर कठोर कारवाई करने की मांग की है.

वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक प्रोफेसर की ओर से छात्रों को गोबर पाथने की वर्कशॉप कराने को लेकर प्रोफेसर विवादों में घिर गए है. यही नहीं इससे युवा छात्रों की बेरोजगारी दूर करने की बात कहकर इसका प्रशिक्षण तक छात्रों को दिया गया. इस प्रकरण को लेकर सर्वविद्या की स्थली काशी हिंदू विश्वविद्यालय का नाम खराब करने और छात्रों के बीच में शिक्षा के स्वरूप को लेकर भ्रमित होने का आरोप लगाते हुए सदन में बीजेपी की सांसद संघमित्रा मौर्य ने अनुचित ठहराते हुए प्रोफेसर पर कठोर कारवाई करने की मांग की है.

पिछले दिनों समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र में सामाजिक संकाय के प्रमुख प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने छात्रों को गोबर के उपले बनाना सिखाया. उन्होंने यह कहा कि उपले बनाकर वे यज्ञ, पूजा, हवन जैसी तमाम चीजो में वृद्धि करते हुए इसे आय का प्रमुख स्रोत बना सकते हैं. यह तो हमारी भारतीय परंपरा का एक हिस्सा रहा है. दो दिवसीय आयोजित की गई इस कार्यशाला को लेकर अब सदन के शून्यकाल में बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने इसे निंदात्मक बताया है.

उन्होंने इसे काशी हिंदू विश्वविद्यालय जैसी शिक्षण संस्थान का नाम खराब करने वाला कृत्य बताया. उन्होंने कहा कि अगर मालवीय जी की बगिया के छात्रों को वहीं के शिक्षक की ओर से ऐसे कार्य करने सिखाये जाएंगे, तो इसका क्या असर पड़ेगा देश – दुनिया की नजरों में. यहां विश्वविद्यालय में छात्र देश विदेश से उच्च शिक्षा की गुणवत्ता प्राप्त करने आते हैं, न कि गोबर पाथने, ऐसे में यह कृत्य करने वाले प्रोफेसर के ऊपर कड़ी से कड़ी कारवाई होनी चाहिए. ताकि भविष्य में वे ऐसा करने से पहले सोचे.

वहीं दूसरी तरफ गोबर के उपले बनाने का वीडियो संकाय प्रमुख प्रो. मिश्रा ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर भी किया था, जो कि तेजी से वायरल होने लगा. लोगों ने इस वीडियो पर कमेंट करके लिखा था कि BHU में पढ़ाई कराना पैसे की बर्बादी है. गोबर पथवाने वाले सामाजिक संकाय के डीन प्रोफेसर कौशल किशोर मिश्रा ने कहा है कि गोबर पाथना कहां से निंदनीय है. यह तो भारतीय परंपरा का अभिन्न अंग है. आजकल का युवा इन परंपराओं से महरूम है. फिलहाल छात्रों और शिक्षकों में इस बात को लेकर तरह-तरह की बाते उठ रही हैं.

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रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी

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