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वाराणसी में ‘हमारी काशी हमारे देवालय’ अभियान का हुआ शुभारंभ, मंदिरों में पूजन-अर्चना

वाराणसी में आज विश्वनाथ गली स्थित बंद पड़े मकान डी 11/20 में आदि विनयाक गणेश और त्रिभुवनेश्वर महादेव का पूजन कर 'हमारी काशी हमारे देवालय’ अभियान का शुभारंभ किया गया. इस अभियान नियमित रूप से पूजा अर्चना की जाएगी.

वाराणसी में अखिल भारतीय संत समिति, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और काशी विद्वत्परिषद् ने विश्वनाथ गली स्थित बंद पड़े मकान डी 11/20 में आदि विनयाक गणेश और त्रिभुवनेश्वर महादेव का पूजन कर ‘हमारी काशी हमारे देवालय’ अभियान का शुभारंभ किया. इस अभियान के अन्तर्गत धर्मनगरी काशी के उपेक्षित पड़े देवालयों में नियमित रूप से पूजा अर्चना और आरती की जाएगी. पूजन और पुजारी दोनों का खर्च अखिल भारतीय संत समिति वहन करेगी. इस अभियान के पहले चरण में काशी के एक सौ आठ मंदिरों से इसका प्रारंभ हो रहा है.

स्कंद पुराण के काशी खंड में उल्लेखित देव विग्रह का पूजन करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी जी महाराज, अखिल भारतीय संत समिति के महामंक्षी स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती जी महाराज, अन्नपूर्णा मंदिर के महंत स्वामी शंकर पुरी जी महाराज और काशी विद्वत् परिषद् के महामंत्री प्रोफे. राम नारायण द्विवेदी जी ने ‘हमारी काशी हमारे देवालय’ अभियान का शुभारंभ किया.

इस अभियान के तहत काशी के उपेक्षित एवं नित्य की विधिवत पूजा, भोग-राग, आरती से वञ्चित काशी के मंदिरों की सुचारू व्यवस्था का प्रबंध किया जाएगा. 2021 के दिसंबर महीने में संतों ने इस अभियान की घोषणा की थी. इसके अंतर्गत ऐसे देवालयों, शिवालयों में पूजा, आरती एवं शृंगार-भोग के लिए प्रतिमाह ढाई हजार रुपया और सेवारत पुजारी को पांच हजार रुपये मानदेय स्वरूप प्रतिमाह दिए जाएंगे.

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पहले चरण में काशी के एक सौ आठ मंदिरों से इसका प्रारंभ हो रहा है. अखिल भारतीय संत समिति धर्मरक्षार्थ संकल्प की पूर्णता के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के साथ मिलकर यह अभियान चलाएगी. श्रीकाशी विद्वत्परिषद के मार्गदर्शन में चलने वाले इस अभियान को ‘हमारी काशी हमारे देवालय’ नाम दिया गया है. अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और महानिर्वाणी अखाड़े के महासचिव श्रीमहंत रवीन्द्र पुरी जी ने कहा कि काशी के तमाम देवालयों में उपेक्षित देव विग्रहों की इसके अंतर्गत पुजा की जाएगी. यहां नियमित पूजन-अर्चना और श्रृंगार आरती का प्रबंध किया जाएगा. जहां पुजारी नहीं है, वहां पुजारियों की नियुक्ति की जाएगी.

श्रीकाशी विद्वत्परिषद के महामन्त्री प्रोफे. रामनारायण द्विवेदी और गंगा महासभा के संगठन महामंत्री गोविन्द शर्मा के नेतृत्व में एक समिति इस तरह के मन्दिरों का चयन करेगी. आर्थिक प्रबंधन महानिर्वाणी अखाड़ा करेगा. उन्होंने श्रद्धालुओं से इस पुनीत कार्य में बढ़-चढ़कर सहभागिता करने का आह्वान किया. स्वामी जीतेंद्रनंद सरस्वती ने बताया कि यह अभियान धर्मरक्षा एवं जनजागरण की दृष्टि से आरंभ किया गया है. आगे चलकर स्थानीय लोगों की दस सदस्यीय समितियां बनायी जाएगी, जो मंदिरों में पूजा आरती के प्रबंध की चिंता करेंगी.

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प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी जी ने बताया कि पिछले वर्ष काशी में आयोजित संस्कृति संसद में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवीन्द्र पुरी जी ने यह संकल्प व्यक्त किया था. अब दूरदर्शी सोच के साथ योजनापूर्वक एवं चरणबद्ध से इसे मूर्त रूप देने की दिशा में कार्य प्रारंभ हो रहा है. धर्मनिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता श्री विपिन सेठ इस अभियान के संयोजक बनाये गये हैं.

रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी

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