Varanasi News: ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Gyanvapi mosque dispute) में कोर्ट की सुनवाई के बीच एक और नया मामला सामने आ गया है. प्लेसेज ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविजंस) एक्ट 1991 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दाखिल की गई है. अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कोर्ट में याचिका दायर की है.
स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती का कहना है कि इस एक्ट के जरिए हमे हमारे धार्मिक स्थलों को सुरक्षित करने में बाधा पहुंच रही हैं. अतः इस एक्ट की धाराओं को हम संत समिति के लोग कोर्ट के दायरे में रहकर चैलेंज करते हैं.
स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती ने बताया कि भारतीय संविधान में धर्म स्वतंत्रता के मूल अधिकारों के अंतर्गत एक ऐसा विधेयक लाया गया है, जिसके द्वारा हमारे भग्न मन्दिर जो कि स्वंतत्रता प्राप्ति के पूर्व की स्थिति में थे उन्हें पुनः प्राप्त करने हेतु हमे स्वंतत्रता ही नहीं मिल रही. स्पेशल प्रोविजन एक्ट (वॉरशिप एक्ट 1991) जोकि अभी की व्यवस्था में लागू है. इसे हमने आज सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है. इसकी धाराओं को चैलेंज किया है. ये एक्ट उसी तरह का है जिसमें यह कहावत चरितार्थ होती हैं कि ( जबरा मारे, रोवे न दे), हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता सब कुछ नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है मगर हम इसकी शिकायत भी न करें.
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उन्होंने कहा कि, 1990 में अयोध्या के पानी को रामभक्तों के खून से लाल किया. उसके बाद 1991 में यूपी के जेलों में 5 लाख भक्तों को भरकर दिल्ली की संसद एक ऐसा एक्ट पास कर देती हैं. जिस एक्ट की दुहाई देकर लोग कहते हैं कि आप काशी-मथुरा अन्य धार्मिक स्थलों पर अपने धर्म की रक्षा के लिए दावा नहीं कर सकते हैं. इसलिए हमने भारतीय संविधान के दायरे में उच्चतम न्यायालय में इस एक्ट को हमने चैलेंज किया है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह (वाराणसी)