Varanasi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को वाराणसी की अदालत से बड़ी राहत मिली है. अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एमपी-एमएलए कोर्ट) उज्जवल उपाध्याय ने राहुल गांधी के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के लिए दाखिल परिवाद को खारिज कर दिया है. कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेताओं ने राहत की सांस ली है.
वाराणसी की कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए कहा कि इस मामले में यह नजर नहीं आ रहा है कि राहुल गांधी का कथित वक्तव्य अभिव्यक्ति की आजादी की विधि विहित परिधि का अतिक्रमण करता हो. इसके साथ ही ये संज्ञेय अपराध भी नहीं लगता है. इसलिए इस परिवाद पत्र को खारिज किया जाता है.
इस प्रकरण को लेकर परिवाद सुनवाई योग्य है या नहीं के बिंदु पर वादी भाजपा विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र के संयोजक शशांक शेखर त्रिपाठी की ओर से अधिवक्ता राजकुमार तिवारी, आनंद पाठक, अजय सिंह और चंद्रभान गिरी ने कोर्ट में दलीलें दी. अधिवक्ताओं ने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं.
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उन्होंने इग्लैंड के कैंब्रिज स्थित जज बिजनेस स्कूल में देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ बयान दिया, हेट स्पीच दी. न्यायालय धारा 190 सीआरपीसी व 179 सीआरपीसी के तहत अपराध को सुनने की अधिकारिता रखती है, क्योंकि 179 सीआरपीसी में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है कि अपराध का विचारण वहां होगा जहां अपराध घटित हुआ है या जहां प्रभावित पक्ष है. इसलिए इसे लेकर अदालत को सुनवाई का अधिकार है. अधिवक्ताओं ने कहा कि यह वाद रिप्रेजेंटेटिव सूट टाइप का है, क्योंकि प्रार्थी वादी भाजपा विधि प्रकोष्ठ काशी क्षेत्र का संयोजक है. वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी विभिन्न अनुषंगिक संगठनों में भी पदाधिकारी है.
अधिवक्ताओं ने कहा कि राहुल गांधी के बयान से करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं. भारत में राहुल गांधी के बयान से धार्मिक विद्वेष फैलाने का खतरा बढ़ गया है. राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे धार्मिक सांस्कृतिक संगठन की तुलना मुस्लिम ब्रदरहुड नामक आतंकवादी संगठन से करके भी अपराध किया है. 10 करोड़ से ज्यादा स्वयंसेवक राहुल गांधी के बयान से दुखी व अपमानित महसूस कर रहे हैं. वहीं परिवादी पक्ष की दलील सुनने के बाद पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित रखी गई थी. इसके बाद कोर्ट ने अपने फैसले में परिवाद पत्र को खारिज कर दिया. इससे राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली है.