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Gyanvapi Survey Case: सर्वे रिपोर्ट 4 हफ्ते तक सार्वजनिक न करने की ASI की अपील, जिला कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

ज्ञानवापी परिसर की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर गुरुवार को दोपहर में जिला जज फैसला सुनाएंगे. एएसआई का कहना है कि लोवर कोर्ट में भी सर्वे की द्वितीय प्रति दाखिल करने में चार हफ्ते का समय लगेगा. ऐसे में चार हफ्ते तक रिपोर्ट को सार्वजनिक न किया जाए.

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी परिसर की पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (Archaeological Survey of India) द्वारा किए गए सर्वे की रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर गुरुवार को दोपहर में जिला जज (District Judge) फैसला सुनाएंगे. जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश (Dr. Ajay Krishna Vishwesh) दोनों पक्षों की दलिलों को सुन चुके हैं. कोर्ट में बुधवार को हुए एक घंटे की बहस के दौरान दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें पेश की. हिंदू पक्ष (Hindu Side) की ओर से याचिका दाखिल करने वाली महिलाओं और वकीलों ने सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी मांगी तो मुस्लिम पक्ष (Muslim Side) ने इसे मेल पर देने के लिए प्रार्थना-पत्र दिया. उधर, आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने चार सप्ताह तक रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने की अपील की है. एएसआई के वकील ने हाईकोर्ट के आदेश और सीनियर डिवीजिन एफटीसी में चल रहे केस में रिपोर्ट सौंपे जाने का हवाला दिया. हालांकि आज का दिन अहम है और सभी की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं. एएसआई का कहना है कि लोवर कोर्ट में भी सर्वे की द्वितीय प्रति दाखिल किया जाना है. इसमें कम से कम चार हफ्ते का समय लगेगा. ऐसे में चार हफ्ते तक रिपोर्ट को सार्वजनिक न किया जाए. मुस्लिम पक्ष ने किसी भी हालत में रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करने की मांग पहले ही कर चुका है. जिसके बाद सुनवाई टाल दी गई थी. अब आज यानी गुरुवार को सुनवाई होगी.

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हैदराबाद के साथ अमेरिका के साइंटिस्टों ने की है स्टडी

गौरतलब है कि आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने 84 दिनों में ज्ञानवापी परिसर में GPR, फोटोग्राफ, वीडियोग्राफी समेत सभी पहलुओं पर सर्वे किया था. पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने 36 दिन में इसकी रिपोर्ट तैयार की है. इसमें GPR रिपोर्ट तैयार करने में 30 दिन लगे थे. इसे अमेरिका के GPR सर्वे एक्सपर्ट ने तैयार की है. हैदराबाद के साथ अमेरिका के साइंटिस्टों की टीम ने कई दिनों तक 10 मीटर तक गहराई का गहन अध्ययन किया था. फिर अमेरिका में 400 से लेकर 900 मेगा हर्ट्ज और उससे अधिक रेंज के रडार की मदद से रिपोर्ट बनाई गई. वहीं हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने सर्वे की रिपोर्ट सीलबंद पेश करके सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहीं भी इसका उल्लेख नहीं किया कि रिपोर्ट सीलबंद जमा होगी, बल्कि सामान्य तरीके से रिपोर्ट पेश करने की बात कही है. इसके पहले भी सीलबंद रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई थी. सबसे पहले हिंदू पक्ष ने भी ईमेल के जरिए रिपोर्ट प्राप्त करने की अर्जी लगाई है. वहीं अब मुस्लिम पक्ष ने भी जिला जज की कोर्ट में आवेदन कर रिपोर्ट अधिकृत ईमेल आईडी पर मांगी है. 3 जनवरी को याचिका दाखिल करने वाली 4 महिलाओं और उनके वकील कोर्ट में पेश होकर ईमेल-हार्ड कॉपी मांगेंगे. ऐसा नहीं करने पर हम लोग सुप्रीम कोर्ट में कंटेप्ट ऑफ कोर्ट करेंगे.

36 दिनों तक तीन हिस्सों में तैयार हुआ रिपोर्ट

बता दें कि ज्ञानवापी में सर्वे के बाद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने तीन हिस्सों में रिपोर्ट तैयार की है. पहली कॉपी ऊपरी हिस्सों में दिखने वाली आकृतियों की है, जिसमें स्थलीय बनावट, काल और समय आदि का विवरण है. वहीं दूसरी कॉपी में जमीन के अंदर की GPR सर्वे की डिटेल को शामिल किया है. इसमें तरंगों के जरिए ग्राफ बनाया और उसके नीचे मौजूद अवशेषों का एक्स-रे किया गया. उसकी रिपोर्ट डिजिटल और ग्राफिक्स में तैयार की गई है. वहीं तीसरी कॉपी में वीडियो-फोटोग्राफी को स्थान के साथ मार्क किया है. ज्ञानवापी में तीन स्तर पर तैयार रिपोर्ट को दिनों के अनुसार, PPT स्लाइड में तैयार किया गया है और उस दिन की प्रगति को अलग से उल्लिखित भी किया है.

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पुरातत्व विभाग की टीम ने इन बिंदुओं पर किया सर्वे

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम ने चार सेक्टर बनाकर ज्ञानवापी के तीनों गुंबदों और परिसर का सर्वे पूरा किया.

  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम ने व्यास तहखाने में पैमाइश की.

  • चार्ट में दीवारों पर मिली कलाकृतियों के पॉइंट्स नोट किए.

  • 100 मीटर एरियल व्यू फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी में पश्चिमी दीवारों के निशान, दीवार पर सफेदी, ईंट में राख और चूने की जुड़ाई समेत मिट्टी के सैंपल जुटाए हैं.

  • इसमें पत्थर के टुकड़े, दीवार की प्राचीनता, नींव और दीवारों की कलाकृतियां, मिट्‌टी और उसका रंग, अवशेष की प्राचीनता सहित अन्न के दाने का सैंपल जुटाया है.

  • टूटी मिली प्रतिमा का एक टुकड़ा भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम ने सैंपल में शामिल किया है. डिजिटल नक्शे में अंदर की वर्तमान स्थिति को भी अंकित किया है.

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