UP Election 2022: काशी नगरी अपने आप में कई इतिहास और धरोहर को समेटे हुए हैं. राजनीतिक इतिहास के पन्नों को पलटे तो जब प्रियंका गांधी काशी की धरती पर पहुंची तो बरबस ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की याद आ गई. वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी की नेतृत्वकर्ता प्रियंका गांधी हैं. 1975 के बाद जब इंदिरा गांधी सत्ता से बेदखल हो चुकी थी. उसके बाद उनका वाराणसी आकर कूष्मांडा देवी के दर्शन करने का दृश्य वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रजानाथ शर्मा को याद आता है.
प्रियंका गांधी द्वारा देवी कूष्मांडा देवी के दर्शन के बाद वाराणसी के सभी कांग्रेस नेताओं को इंदिरा गांधी की याद आ गई. इंदिरा गांधी भी सत्ता से हटने के बाद देवी कूष्मांडा के दर्शनों के लिए आई थीं. प्रजानाथ शर्मा इंदिरा गांधी की उस धार्मिक यात्रा को याद करते हुए बताते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की धर्म- कर्म में बहुत रुचि थी. जब इमरजेंसी के बाद वे सत्ता से हट चुकी थी, तब वे वाराणसी देवी कूष्मांडा के दर्शनों के लिए आई थीं. उस वक्त कमलापति त्रिपाठी और लोकपति त्रिपाठी ने उनके दर्शन- पूजन का प्रबंधन कराया था. यह बात 1976-77 के बीच की थी.
Also Read: प्रियंका गांधी के काशी में मंदिर जाने पर सवाल, संत समाज ने पूछा- क्या आपके लिए पर्यटन केंद्र है? Videoइंदिरा गांधी की जीप जब चौकाघाट के अलईपुरा के सामने पहुंची तो कई मोटरसाइकिल के साथ कार्यकर्ताओं का हुजूम उनके पीछे- पीछे चल रहा था. वो भीड़ को देखकर गाड़ी से उतर गईं और वहां उपस्थित महिलाओं से करीब 15 से 20 मिनट तक मिलीं. रास्ते में खड़ी महिलाएं उनके चरणों की धूल उठाकर माथे पर लगा रही थीं. ऐसा अपार स्नेह था, उनके प्रति जनता के दिल में. यहां से मिर्जापुर स्थित विध्यांचल मन्दिर में भी उन्होंने राजनीति में वापसी के लिए शतचण्डी यज्ञ कराया था. उनकी धार्मिक कार्यो में बहुत रुचि थी.
Also Read: Varanasi News: जब मंदिर से निकलने के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने महिला आरक्षी को लगाया गलेइसके अलावा, इंदिरा गांधी अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रति भी बहुत स्नेह भाव रखती थीं. कांग्रेस के छात्र संगठन से जुड़े चुनावी प्रचार के वक्त वे काशी आयी थीं. उस वक्त सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति उनसे मिलने सर्किट हाउस आये थे जबकि गेट के बाहर एनएसयूआई के छात्र कार्यकर्ता उनसे मिलने की जिद लेकर बाहर खड़े थे. उन्होंने नारे की आवाज सुनकर जब बाहर झांका तो पार्टी का झंडा देखकर पूरी जानकारी पूछी और सभी छात्र कार्यकर्ताओं को अंदर बुलाकर उनकी सारी बातें सुनी.
इंदिरा गांधी ने एक-एक छात्र से बात की. उसके बाद सभी को लिखित आश्वासन दिया. कार्यकर्ताओं की बात सुनने के लिए वह सिक्योरिटी तक को छोड़कर भीड़ में जाकर खड़ी हो जाती थीं. कुछ ऐसी ही ललक और झलक प्रियंका गांधी में देखने को मिलती हैं. वरिष्ठ कांग्रेस लीडर का कहना है कि प्रियंका गांधी ही वो चेहरा हैं, जिसके द्वारा कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो सकती है.
(रिपोर्ट- विपिन सिंह, वाराणसी)