16 अप्रैल को चैत्र माह की पूर्णिमा है. साथ ही हनुमान जयंती भी है. इस दिन भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार, यानि श्री हनुमान जी का जन्म हुआ था. इस दिन रामभक्त हनुमान की जयंती पर बाबा भोले की नगरी काशी केसरिया रंग में रंगी नजर आई.
अंजनी पुत्र भगवान हनुमान की जयंती पुरे शहर में धूमधाम से मनाई जा रही है. काशी का कोने-कोने में जय श्रीराम-जय श्रीराम और जय हनुमान के उद्घोष से सुनायी दे रहा है. काशी में हनुमान जयंती के अवसर पर श्री हनुमान ध्वजा प्रभात फेरी समिति की ओर से शनिवार को सुबह हनुमान पताका प्रभातफेरी निकली गई.
प्रभात फेरी में महिलाएं आरती की थाली ली हुईं थीं, वहीं पुरुष लाल पताका लिए भजन कीर्तन करते चल रहे थे. दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ से श्री संकटमोचन मंदिर के लिए निकली प्रभातफेरी में भक्त झूमते हुए चल रहे थें. हनुमानजी की चित्र की आरती उतारने के लिए होड़ रही.
मारवाड़ी युवा मंच गंगा शाखा की महिलाओं ने भी आरती उतारी. प्रभातफेरी रवींद्रपुरी कॉलोनी, दुर्गाकुंड, मानस मंदिर, त्रिदेव मंदिर होते हुए श्रीसंकटमोचन मंदिर पहुंची, जहां भक्तों ने हनुमान चालीसा पाठ किया गया. श्री हनुमान ध्वजा प्रभात फेरी के संस्थापक व अध्यक्ष कौशल शर्मा ने बताया कि यह परंपरा कोई नहीं है यह 22 वर्ष पुरानी परंपरा है.
हनुमान जी को ध्वजा चढ़ाना हिन्दू धर्म की परंपरा है. यह ध्वजा यात्रा 2001 में शुरू की गई थी. यह यात्रा धर्मसंघ दुर्गाकुंड से शुरू करते हुए रविन्दपुरी, गुरुधाम, मानस मन्दिर होते हुए संकटमोचन जाएगी. वहाँ पहुचने के पश्चात सभी महिलाएं भगवान की आरती करेंगी और सभी पुरुष जिन्होंने भी अपने हाथों में ध्वजा ली है ये सब हनुमान जी को अर्पण किये जायेंगे.