Varanasi News: मोक्ष की नगरी काशी में जीवन के अंतिम क्षणों में मृत्यु उपरांत मोक्ष की कामना लेकर लोगों का आना लगा रहता है. मगर जानबूझकर मौत को ये सोचकर गले लगाना कि काशी में प्राण त्यागना ही मोक्ष है, यह कितना उचित है? ऐसे ही एक शख्स ने व्यापार में घाटा होने के दुःख में तेलंगाना से वाराणसी आकर यह सोचकर जान देने की कोशिश की, कि उसे यहां मरने पर मोक्ष प्राप्त हो जाएगा. काशी में मोक्ष जबर्दस्ती प्राण त्यागने से नहीं मिलता बल्कि प्राकृतिक मृत्यु उपरांत ही मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है,
दरअसल, तेलंगाना के एक शराब कारोबारी को काशी में मोक्ष प्राप्ति की कामना को लेकर अपनी जान देने से दशाश्वमेध थाने की पुलिस ने परिजनों की सतर्कता से बचा लिया. व्यापारी के चचेरे भाई और उसके साले ने दशाश्वमेध थाने की पुलिस का आभार जताते हुए उसे अपने साथ वापस ले गए. दोनों ने कहा कि वाराणसी पुलिस ने एक परिवार को बिखरने से बचा लिया.
50 लाख का घाटा होने पर तेलंगाना के शराब व्यापारी ने परिजनों को बिना बताए वाराणसी में आकर जान देकर मोक्ष प्राप्त करने की सोची. मगर पुलिस की सतर्कता ने उसे बचा लिया.1200 किलोमीटर दूर वाराणसी आये इस शराब कारोबारी ने पत्नी को फोन कर कहा कि बच्चों का और अपना ख्याल रखना. इसके बाद उसने अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर लिया. घबराए परिजनों ने वाराणसी कमिश्नरेट की पुलिस से संपर्क किया तो कड़ी मशक्कत के बाद व्यापारी पांडेयहवेली क्षेत्र स्थित रामतारक आश्रम में मिला.
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पुलिस से बातचीत के दौरान व्यक्ति ने अपना परिचय तेलंगाना के वारंगल जिले के कोत्थागट्टू आत्माकुर मंडल निवासी के श्रीनिवास के रूप में दिया. उसने बताया कि शराब के ठेके के टेंडर में उसे लगभग 50 लाख रुपये का घाटा हुआ था. इसके बाद उसे समझ में नहीं आया कि वह अब क्या करे. जीवन से निराश होकर उसने मरने की ठानी, तभी उसे काशी का ध्यान आया कि यहां मरने से मोक्ष प्राप्त होता है और आत्महत्या का भी पाप नहीं लगता. इसलिए वह चुपचाप वाराणसी के लिए निकला और 17 दिसंबर की सुबह यहां पहुंचा.
व्यापारी ने अपनी पत्नी को बता दिया था कि अब वह कभी घर नहीं आएगा. इसके बाद वह पांडेयहवेली क्षेत्र के रामतारक आश्रम में अपना नाम और पता गलत बताकर एक कमरा लिया. गंगा घाटों के किनारे वह घूम कर जान देने के लिए स्थान खोज रहा था, तभी पुलिस की नजर उस पर पड़ी और उसे बचा लिया गया. इस पूरी घटना को लेकर एसीपी दशाश्वमेध अवधेश कुमार पांडेय ने बताया कि सोशल मीडिया से श्रीनिवास के संबंध में मिली जानकारी के आधार पर पर उच्चाधिकारियों ने उनकी खोजबीन का निर्देश दिया.
दशाश्वमेध थाना प्रभारी आशीष मिश्रा को के श्रीनिवास की खोजबीन के लिए लगाया गया. चूंकि के श्रीनिवास ने अपना नाम-पता गलत बता रखा था, इसलिए उनका पता ही नहीं लग रहा था. इसके बाद दशाश्वमेध थाना प्रभारी ने दक्षिण भारतीय और खासतौर से तेलंगाना से आने वाले श्रद्धालुओं से संबंधित आश्रमों के एक-एक कमरे को खुलवा कर चेकिंग करनी शुरू की तो के श्रीनिवास रामतारक आश्रम में मिले.
के श्रीनिवास को उनके चचेरे भाई कृष्णाधि साईंराम और साले पोशाल सुमन को सौंपा गया है. इस तरह की घटनाएं काशी में मोक्ष के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा देने के साथ ही काशी की संस्कृति को भी खराब कर रही हैं.
Posted By: Achyut Kumar