Aligarh Muslim University: अंग्रेजों की गुलामी के समय मुसलमानों में शिक्षा की अलख जगाने की मुहिम चलाने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान आज ही के दिन आखरी सांस ली थी 1875 में सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में मदरसा की नींव रखी थी. जो 1920 में विश्वविद्यालय के रूप में एक वट वृक्ष बन गया है. इस विश्वविद्यालय से निकले छात्र दुनिया भर में देश का नाम रौशन कर रहे हैं. एएमयू आज मुस्लिम शिक्षा का बड़ा केंद्र बन गया है. एएमयू के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी राहत अबरार ने बताया कि आज सर सैयद अहमद खान की 125 वी पुण्यतिथि के मौके पर याद किया गया. उनको मानने वाले लोग आज भी एएमयू जामा मस्जिद में नमाज पढ़ने के बाद सर सैयद अहमद खान की कब्र पर फातिहा पढ़ा जाता है.जब सर सैयद अहमद खान की मौत हुई उस समय प्रिंसिपल थियोडोर बेक थे. उन्होंने सर सैयद अहमद खान का विक्टोरिया गेट के सामने बड़ा मकबरा बनाये जाने की प्रस्तवा रखा था, लेकिन उनके बेटे ने जामा मस्जिद के अंदर दफन किए जाने का फैसला किया था. आज भी लोग एएमयू जामा मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ते हैं. उसके बाद सर सैयद अहमद खान की कब्र पर फातिहा पढ़ा जाता है.
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Aligarh Muslim University के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की 125 वीं पुण्यतिथि
Aligarh Muslim University : अंग्रेजों की गुलामी के समय मुसलमानों में शिक्षा की अलख जगाने की मुहिम चलाने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान आज ही के दिन आखरी सांस ली थी. 1875 में सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ में मदरसा की नींव रखी थी.
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