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कभी गूंजती थी चरखा-करघा की आवाज, आज रोजी-रोटी को तरस रहे बुनकर
कोरोना संकट से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए देश को आत्मनिर्भर बनाने की बात की जा रही है. बाकायदा पीएम मोदी ने लोकल को वोकल बनाने की बात कही. इन सबसे दूर आज बात करते हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपनों को जीने वाले एक गांव की. दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखंड अंतर्गत टेकटार पंचायत के सिरहुल्ली गांव में हथकरघा और गांधी जी के चरखा की आवाज गूंजती थी. एक समय करीब डेढ़ सौ परिवार हाथों से कपड़ों को बुनते थे. यहां के कपड़ों की काफी मांग होती थी. लेकिन, आज हालात पूरी तरह बदल चुके हैं. देखिए हमारी खास पेशकश.
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