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छत्तीसगढ़ के एक पिता ने जेल में कमाए रुपये से इस कारण बेटी के लिए खरीदा स्मार्टफोन

भारत में कोरोना संकट के बीच बहुत कुछ बदला है. कोरोना संकट के बीच स्टूडेंट्स परीक्षा देने जा रहे हैं. कोरोना संकट के बीच अनलॉक फेज-4 चल रहा है. इसी कोरोना संकट के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानकर आपकी आंखें नम हो जाएगी. एक पिता-पुत्री की ऐसी कहानी जिसे काफी तारीफें मिल रही हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक पिता ने अपने बेटी के लिए स्मार्टफोन खरीदा है. कोरोना संकट के बीच बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज शुरू की गई है. इस लिहाज से खबर आपको बड़ी नहीं लगेगी. इस खबर में कुछ ऐसी बातें हैं जिसे जानना आपके लिए जरूरी है. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में अपने गांव में वापस पहुंचकर आन‍ंद नगेशिया काफी खुश थे. जेल में 15 साल सजा काटकर आनंद घर पहुंचे थे. बेटी को एक साल को छोड़कर आनंद नगेशिया जेल भेजे गए थे. आनंद को चाचा की हत्या के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में अपने गांव पहुंचकर आनंद नगेशिया काफी खुश थे. वो सीधे परिवार और बेटी से मिलने पहुंच गए. बेटी से बातचीत के दौरान आनंद को पता चला कि स्मार्टफोन नहीं होने के कारण बेटी को ऑनलाइन क्लास में दिक्कत हो रही है. इसे देखकर पिता को जेल में कमाए गए रुपयों का ख्याल आया. आनंद नगेशिया ने जेल में रहने के दौरान बागबान और कारपेंटर के रूप जो पैसे कमाए थे उससे बेटी को स्मार्टफोन खरीद दिया. पिता से मोबाइल मिलते ही बेटी की समस्या सॉल्व हो गई. आनंद नगेशिया के मुताबिक उनकी बेटी के पास ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन नहीं था. वो बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है. जेल में रहने के दौरान उनको पढ़ाई का मोल समझ में आया. लिहाजा बिना देरी किए बेटी के लिए स्मार्टफोन खरीद दिया.

भारत में कोरोना संकट के बीच बहुत कुछ बदला है. कोरोना संकट के बीच स्टूडेंट्स परीक्षा देने जा रहे हैं. कोरोना संकट के बीच अनलॉक फेज-4 चल रहा है. इसी कोरोना संकट के बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसे जानकर आपकी आंखें नम हो जाएगी. एक पिता-पुत्री की ऐसी कहानी जिसे काफी तारीफें मिल रही हैं. दरअसल, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में एक पिता ने अपने बेटी के लिए स्मार्टफोन खरीदा है. कोरोना संकट के बीच बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेज शुरू की गई है. इस लिहाज से खबर आपको बड़ी नहीं लगेगी. इस खबर में कुछ ऐसी बातें हैं जिसे जानना आपके लिए जरूरी है. छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में अपने गांव में वापस पहुंचकर आन‍ंद नगेशिया काफी खुश थे. जेल में 15 साल सजा काटकर आनंद घर पहुंचे थे. बेटी को एक साल को छोड़कर आनंद नगेशिया जेल भेजे गए थे. आनंद को चाचा की हत्या के बाद उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में अपने गांव पहुंचकर आनंद नगेशिया काफी खुश थे. वो सीधे परिवार और बेटी से मिलने पहुंच गए. बेटी से बातचीत के दौरान आनंद को पता चला कि स्मार्टफोन नहीं होने के कारण बेटी को ऑनलाइन क्लास में दिक्कत हो रही है. इसे देखकर पिता को जेल में कमाए गए रुपयों का ख्याल आया. आनंद नगेशिया ने जेल में रहने के दौरान बागबान और कारपेंटर के रूप जो पैसे कमाए थे उससे बेटी को स्मार्टफोन खरीद दिया. पिता से मोबाइल मिलते ही बेटी की समस्या सॉल्व हो गई. आनंद नगेशिया के मुताबिक उनकी बेटी के पास ऑनलाइन क्लास के लिए स्मार्टफोन नहीं था. वो बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती है. जेल में रहने के दौरान उनको पढ़ाई का मोल समझ में आया. लिहाजा बिना देरी किए बेटी के लिए स्मार्टफोन खरीद दिया.

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