पूर्वी सिंहभूम में बहरागोड़ा प्रखंड के बरसोल थाना से महज 2 किलोमीटर की दूरी उत्तर दिशा पर अजंता होटल के पीछे में अवैध मुरुम खनन धड़ल्ले से हो रहा है. इसकी जानकारी न तो मुखिया को है और न ही थाना प्रभारी को है.
ठेकेदार ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध खनन कर मुरुम परिवहन कर रहे हैं. आलम यह है कि मुरुम वाली जगह में 10 से 15 फीट तक गहरे गड्ढे कर दिए गए हैं. खनन माफियाओं द्वारा आर्थिक हितों के फेर में मैदानों को बेहतरीन ढंग से खोदकर बर्बाद किया जा रहा है और शासन को लाखों का चूना लगाया जा रहा है.
मिली जानकारी के अनुसार पानीसोल गॉव के पास हर रात से खनिज माफियाओं द्वारा मुरुम खनन का कार्य किया जा रहा है. सूत्र बताते है की लगातार यहां एक जेसीबी और 3 ,4 ट्रैक्टर परिवहन में लगे हुए थे. मुरूम का अवैध उत्खनन और परिवहन हो रहा है. जेसीबी मशीन से मुरुम खोदकर जमीन को खाई में तब्दील किया जा रहा है. खनिज का बेतहाशा दोहन किया जा रहा है.
कभी भी हो सकती है अनहोनी:
उल्लेखनीय है कि अब तक यहां लगभग 7 फीट से ज्यादा गहरा गड्ढा बन चुका है. कई ट्रीप मुरुम का परिवहन किया जा चुका है. ऐसे में जमीन खाई बन गई है. तालाब में कभी भी अनहोनी की घटना घट सकती है. वही इस अनहोनी की आशंका को लेकर ग्रामीण बेहद नाराज है. बिदित हो कि गोहोलामुड़ा में कुछ दिन पहले मुरूम के अवैध खनन का मामला प्रकाश में आया था फिर सी ओ जितराय मुर्मु मौके पर जा कर मामले का जानकारी लिए थे कई सारे ग्रामीणों दारा उनको बताया गया था कि मुराम हमलोग गॉव के मंदिर के लिए लेकर जा रहे हैं इस पर सीओ ने मुराम खोदने का रोक लगाये थे हालांकि उस गॉव में तब से अभी तक मुराम खोदना बंद है.
जमीन को कर रहे है बर्बाद:-
बरसोल में अवैध खनन का आलम यह है कि खनन माफियाओं द्वारा कहीं पर भी शासकीय भूमि को खोद दिया जा रहा है, वहीं तालाबों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है. गौरतलब हो कि अल्प वर्षा व भीषण गर्मी के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादातर तालाब सूख चुके हैं, ऐसी स्थिति में गांव के सूख चुके तालाबों में बड़े पैमाने पर अवैध खनन किया जा रहा है. ग्रामीणों के अनुसार आने वाले दिनों में तालाब में निस्तारी को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
ग्रामीण और मवेशी हो सकते हैं चोटिल:-
ग्रामीणों के कई बार मौखिक रूप से मना करने के बावजूद खनन माफियाओं द्वारा मैदान को बेहतरीन ढंग से खोदकर मुरुम निकाला जा रहा है. गहरे गड्ढे में मवेशी और ग्रामीण गिरकर चोटिल होने की संभावना बनी हुई हैं. जनप्रतिनिधियों द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की कार्यप्रणाली से ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है.