19.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लुप्त हो रही धान की किस किस्म को कोल्हान की महिलाओं ने दिया है नया जीवन?

लुप्त हो रही धान की किस्म बाली भोजना को झारखंड के कोल्हान की महिलाओं ने नया जीवन दिया है. घाटशिला में तीन सौ किसान बाली भोजना की खेती करते हैं.

घाटशिला से लौटकर संजय मिश्र: गायब होने की कगार पर पहुंच चुकी धान की एक किस्म बाली भोजना को कोल्हान की महिला किसानों की मदद से एक बार फिर नया जीवन मिल गया है. गुणों की खान वाली धान की इस किस्म का नाम है बाली भोजना. 1970 के आसपास कोल्हान के घाटशिला, पोटका, राजनगर में पोष्टिक गुणों से भरपूर, कम पानी, कम खाद, बगैर कीटनाशक धान की किस्म बाली भोजना की खेती भरपूर होती थी. धान उबालने के बाद घर के ढेंकी में कूट कर चावल बना लिया जाता था. 1970 के बाद हरित क्रांति के दौर में हाइब्रिड धान के कारण यह चावल खेतों में गायब हो गया. महिला किसानों को धान की इस किस्म को लगाने के लिए प्रेरित करने का काम अन्नपूर्णा महिला किसान समिति के बैनर तले शुरू किया गया. अब स्थिति यह है कि करीब तीन सौ किसान बाली भोजना की खेती करते हैं. रांची के मोहरबादी में सरस मेला में बाली भोजना चावल बेच कर लौटे कार्तिक ने बताया कि देसी और ढेंकी कूटा चावल बोलने से ही खरीददार इसे खरीद लेते हैं. यह चावल वहां 120 रुपये किलो बिका है. स्टॉल पर उसने आइआइटी खड्गपुर की ओर से जारी वह सर्टिफिकेट भी लगा दिया था, जिसमें इस चावल के पौष्टिक गुणों का वैज्ञानिक अध्ययन है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें