Bengal Election First Phase Women Voting: बंगाल विधानसभा चुनाव में सभी पार्टियों की नजर पहले फेज पर है. 27 मार्च को पहले फेज में पांच जिलों की 30 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है. पहले फेज के बाद 29 अप्रैल को अंतिम चरण की वोटिंग है और दो मई को ‘रिजल्ट डे’ है. इन सबके बीच कई दावे हैं तो कई तरह के चुनावी वादे, हर राजनीतिक दल ने अपने हिसाब से चुनावी वादे किए हैं. सभी पार्टियों ने घोषणापत्र भी जारी किया है. किसी का महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का वादा है तो कोई महिलाओं के लिए ट्रांसपोर्टेशन फ्री करने का भरोसा दे रहा है.
बंगाल विधानसभा चुनाव के सियासी संग्राम में कूदी सभी पार्टियों की नजर महिलाओं पर है, क्योंकि पश्चिम बंगाल में कुल वोटर्स में आधी आबादी (महिलाओं) की संख्या पचास फीसदी के करीब है. लिहाजा सभी की नजर महिला वोटबैंक पर है. चलिए समझते हैं महिलाओं के लिए किस पार्टी के पिटारे में क्या कुछ खास है?
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में महिलाओं की बात करें तो वो समूचे देश में अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए जानी जाती हैं. इस बार भी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में महिलाओं को ‘गेमचेंजर’ माना जा रहा है. बंगाल के सियासी गणित को समझने वालों के मुताबिक बंगाल चुनाव में महिला वोटबैंक पर सभी की नजर है.
Also Read: बंगाल में भी BJP का कोई स्ट्रांग पर्सनैलिटी आएगा, टीवी इंटरव्यू में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का खुलासाचुनाव आयोग के आंकड़ों को देखें तो इस बार राज्य में करीब 7.18 करोड़ मतदाता वोट डालने वाले हैं. इसमें महिलाओं की संख्या 3.15 करोड़ (49 प्रतिशत) है. इस हिसाब से देखें तो पश्चिम बंगाल में महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच महज दो फीसदी का अंतर है. अगर महिलाओं ने एकमुश्त किसी भी पार्टी को समर्थन दिया तो उस पार्टी को पॉलिटिकल माइलेज मिलना तय है. यही कारण है कि सारी पार्टियां महिला वोटबैंक पर ध्यान लगा रही है और महिलाओं के लिए घोषणापत्र में खास एलान किए हैं.