झारखंड में जिलावार नियुक्ति में मगही, भोजपुरी और अंगिका भाषा भी शामिल है. राज्य सरकार ने जिलास्तरीय पदों के लिए जनजातीय सहित क्षेत्रीय भाषाओं की सूची जारी कर दी है. झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा मैट्रिक तथा इंटरमीडिएट स्तर पर ली जानेवाली प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए कार्मिक विभाग ने संशोधित नियमावली का गठन किया था.
नियमावली के पत्र-2 में चिह्नित क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा में जिलास्तरीय पदों के लिए जिलावार चिह्नित क्षेत्रीय/जनजातीय भाषाओं की सूची कार्मिक विभाग द्वारा अलग से दी जानी थी. इसके आलोक में विचार करने के बाद आयोग ने जिलास्तरीय पदों के लिए क्षेत्रीय व जनजातीय भाषाओं को जिलावार चिह्नित किया है. जनजातीय भाषा में संथाली, कुड़ुख, खड़िया, मुंडारी, हो, असुर, बिरजिया, बिरहोरी, भूमिज, माल्तो व क्षेत्रीय भाषा में नागपुरी, पंचपरगनिया, बंगला, अंगिका, कुरमाली, मगही, उड़िया, खोरठा, भोजपुरी भाषा शामिल हैं.
भोजपुरी और भगही भाषा को नियुक्ति नियमावली में नहीं जोड़े जाने के कारण बवाल बढ़ा था. पलामू प्रमंडल के तीन जिलों (पलामू, लातेहार और गढ़वा) और चतरा में ऐसी भाषाओं को बोलने वालों की संख्या काफी अधिक है. लेकिन नियुक्ति में इन भाषाओं के नहीं होने से ऐसे अभ्यर्थियों को समान अवसर नहीं मिल पा रहा था . इसी तरह हजारीबाग, बोकारो, धनबाद, गिरीडीह, गोड्डा जैसे जिलों में भी दोनों भाषा प्रमुखता से बोली जाती हैं.
पहले नियम यह था कि क्षेत्रीय भाषाओं को विभाग की ओर से प्राथमिकता दी जाती थी.जैसे बोकारो और सिमडेगा जिले में जब शिक्षा विभाग द्वारा कोई नियुक्ति की जाती थी, तो विभाग खुद क्षेत्रीय भाषाओं की सूची जारी करता था. इसका असर यह होता था कि नियुक्ति प्रक्रिया विवादित रह जाती थी.