ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम ने जमशेदपुर स्थित सिंचाई विभाग के बंगले पर अवैध कब्जा बरकरार रखने के लिए एक बड़े अधिकारी को बतौर रिश्वत 10 लाख रुपये दिये थे. बीरेंद्र राम पर नजर रखने के दौरान रिकॉर्ड किये गये फोन कॉल से इसकी पुष्टि हुई है. इडी को फिलहाल इस अफसर की तलाश है. बीरेंद्र राम की जांच-पड़ताल के दौरान इडी ने उसका फोन सर्विलांस पर रखा था. इस दौरान उसने जमशेदपुर स्थित सरकारी बंगले पर अपना कब्जा जमाये रखने के सिलसिले में भी अपने सहयोगियों से बीतचीत की थी. उसने बताया था कि विभाग से उसे सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिला था.
लेकिन, 10 लाख घूस देने के बाद बंगला खाली कराने की सरकारी कार्रवाई बंद कर दी गयी. बातचीत के दौरान उसने किसी अफसर का नाम लिया था. अब इडी के अधिकारी उस अफसर की तलाश कर रहे हैं. जमशेदपुर स्थित सिचाईं विभाग का बंगला चांडिल प्रमंडल का मुख्य अभियंता बनने के बाद मिला था. लेकिन वर्ष 2018 में जल संसाधन विभाग ने उसे चांडिल सिंचाई प्रमंडल के मुख्य अभियंता के पद से हटा दिया. तब भी उसने यह बंगला खाली नहीं किया. वह विभाग के सरकारी बंगले पर काबिज रहा. बाद में विभाग के स्तर से उसे बंगला खाली करने का नोटिस दिया गया.
हालांकि, उसने 10 लाख रुपये रिश्वत देकर मामले को दबा दिया. आपको बता दें कि शुक्रवार से ही बीरेंद्र राम इडी की रिमांड में है. बिरसा मुडां कारावास से दोपहर 1 बजे से इडी कार्यालय लाया गया था. इसके बाद इडी के अधिकारियों ने शुक्रवार को लंबी पूछताछ की. हले दिन इडी के अधिकारियों ने बीरेंद्र राम से छापेमारी के दौरान मिले रुपये, दस्तावेज, गहने और काली कमाई के बारे में पूछताछ की. साथ ही इडी ने राज्य सरकार से ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम की संपत्ति, निबटाये गये टेंडर और सरकारी बंगला आवंटन और सर्विस से संबंधित ब्योरा मांगा है. इसके लिए संबंधित विभाग के सचिवों को पत्र लिखा गया है. इडी ने सरकार को पत्र भेज कर यह जानना चाहा है कि बीरेंद्र राम ने अपने कार्यकाल के दौरान संपत्ति का ब्योरा दिया है या नहीं? अगर उसने राज्य सरकार को अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया हो, तो उसे जांच के लिए इडी को उपलब्ध कराया जाये.