चंद्रयान-3: क्या कर रहा होगा रोवर ‘प्रज्ञान’?

लैंडर और रोवर मिलकर चांद की गतिशीलता, सतह पर मौजूद प्लाज्मा के घनत्व, चांद के परत की रूपरेखा, सतह के कंपन, रसायन और खनिज से जुड़ी जानकारियां जुटाएगा. इसके साथ ही चंद्रयान 3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे एक पेलोड से पृथ्वी की निगरानी की जा रही है.

By Abhishek Anand | August 25, 2023 8:44 PM

चांद पर सफल लैंडिंग के बाद क्या कर रहा है रोवर 'प्रज्ञान'

अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ बुधवार शाम 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया है. 14 जुलाई को 41 दिन की चंद्र यात्रा पर रवाना हुए चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ और इस प्रौद्योगिकी में भारत के महारत हासिल करने से पूरे देश में जश्न का माहौल है. चंद्रयान-3 से संबंधित बड़ा अपडेट सामने आ रहा है. इसरो ने आधिकारिक हैन्डल से संदेश भेजा है कि रोवर से MOX निकल चुका है और चांद पर यह चलना शुरू हो चुका है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़े सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि रोवर ‘प्रज्ञान’ लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकल आया है और यह अब यह चंद्रमा की सतह पर घूमेगा. न्नीकृष्णन नायर के मुताबिक, रोवर के सोलर पैनल बाहर की तरफ खुल चुके हैं. लैंडर और रोवर मिलकर चांद की गतिशीलता, सतह पर मौजूद प्लाज्मा के घनत्व, चांद के परत की रूपरेखा, सतह के कंपन, रसायन और खनिज से जुड़ी जानकारियां जुटाएगा. इसके साथ ही चंद्रयान 3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे एक पेलोड से पृथ्वी की निगरानी की जा रही है. इस पेलोड से पृथ्वी की तरह ही ऐसे ग्रहों को खोजा जाएगा,जहां जीवन संभव हो. दरअसल चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर को एक चंद्रमा दिवस यानी 14 दिन के लिहाज से डिजाइन किया गया है, क्योंकि चांद पर 14 दिन तक ही सूर्य की रोशनी आती है. इसके बाद चांद की सतह पर अंधेरा छा जाता है. अंधेरे की वजह से चांद का तापमान -200 डिग्री तक गिर जाता है और इस तापमान में मुमकिन है कि लैंडर और रोवर में लगे उपकरण काम करना बंद कर दें. हालांकि एक उम्मीद है कि दोबारा सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद उपकरण दोबारा काम करने लगे लेकिन इसकी संभावना काफी कम है.

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