भारत भी इसे लेकर चिंतित है लेकिन अब देश में चिंता और बढ़ रही है. 28 नवंबर से 1 दिसंबर के बीच दक्षिण अफ्रीका से बेंगलुरु पहुंचे पांच यात्री “लापता” बताये जा रहे हैं. इसका मतलब कि इस संबंध में अधिकारियों को भी नहीं पता कि वो कहां हैं. इससे खतरा बढ़ा है. अगर इन यात्रियों में से एक भी इस नये वैरिएंट से संक्रमित हुआ तो भारत में आसानी से इसका प्रसार हो सकता है. अब अधिकारी उन यात्रियों का पता लगा रहे हैं.
डब्ल्यूएचओ ने दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन वेरिएंट का केंद्र समझे जानेवाले गौतेंग प्रांत में विशेषज्ञों की एक टीम भेजी है. यह टीम निगरानी और संक्रमितों के संपर्क में आये लोगों का पता लगाने में मदद करेगी. डब्ल्यूएचओ की एक टीम पहले ही दक्षिण अफ्रीका में जीनोम सीक्वेंसिंग पर काम कर रही है.
ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर नये – नये अध्ययन सामने आ रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका के स्वास्थ्य संगठनों के एक समूह ने एक स्टडी की है. समूह ने नये अध्ययन में दावा किया गया है कि नए ओमिक्रॉन वैरिएंट से दोबारा संक्रमण (री इंफेक्शन) का खतरा डेल्टा या बीटा वैरिएंट के मुकाबले तीन गुणा अधिक है, कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक हो सकता है. इस शोध से साफ है कि वैसे लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है जो पहले इस वायरस की चपेट में आये हैं.
5 साल से छोटे बच्चों में ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है. 60 साल से ऊपर के बुजुर्ग इस वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित हैं और दूसरे नंबर पर 5 साल से छोटे बच्चों की संख्या है.’ उन्होंने ये भी कहा कि इस बार हमें कुछ अलग ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है.