झारखंड मनरेगा में भ्रष्टाचार : मजदूर कम लेकिन कागज पर चार गुणा, केंद्र ने रोका पैसा
मनरेगा में गड़बड़ी के कई मामले पहले भी सामने आते रहे हैं लेकिन मनरेगा की योजनाओं में पाबंदी के बावजूद मशीन का इस्तेमाल हो रहा है. मस्टर रोल (एमआर) में दर्ज मजदूरों में से औसतन 25 प्रतिशत मजदूर ही काम करते पाये गये.
मनरेगा में गड़बड़ी के कई मामले पहले भी सामने आते रहे हैं लेकिन मनरेगा की योजनाओं में पाबंदी के बावजूद मशीन का इस्तेमाल हो रहा है. मस्टर रोल (एमआर) में दर्ज मजदूरों में से औसतन 25 प्रतिशत मजदूर ही काम करते पाये गये. गुमला,धनबाद,गोड्डा और दुमका में तो मस्टर रोल के मुकाबले तीन से 10 प्रतिशत तक मजदूर ही काम करते पाये गये.
तीन जिलों में वैसे मजदूर भी काम करते पाये गये, जिनके नाम मस्टर रोल में दर्ज नहीं थे. 129 योजनाओं में बिना काम शुरू किये ही मस्टर रोल जारी किया गया. मनरेगा की ताजा सोशल ऑडिट रिपोर्ट में मनरेगा कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा की जा रही कई गड़बड़ियां सामने आयी हैं. गड़बड़ी की 50% राशि वसूलने पर ही अब केंद्र से मिलेगा मनरेगा का पैसा. केंद्र सरकार के मनरेगा महानिदेशक ने राज्य सरकार के अधिकारियों को भेजा पत्र, राज्य में अब तक वित्तीय अनियमितता में सिर्फ 9.97% राशि ही वसूली जा सकी है. केंद्र सरकार ने राज्य को मनरेगा में हुई गड़बड़ी में से 50 प्रतिशत की वसूली नहीं होने पर वित्तीय वर्ष 2022-23 में लेबर बजट पर विचार नहीं करने की चेतावनी दी है.
मनरेगा में सबसे खराब स्थिति गुमला की बतायी गयी है. रिपोर्ट में कहा गया कि ऑडिट के लिए राज्य के 24 जिलों की 1,118 पंचायतों में चल रही योजनाओं में से 29,059 योजनाओं को चुना गया. इनके लिए जारी मस्टर रोल में 1.59 लाख मजदूरों के काम करने का उल्लेख किया गया था. हालांकि कार्य स्थल पर सिर्फ 40 हजार 629 मजदूर ही काम करते पाये गये. यानी मस्टर रोल में दिखाये मजदूरों की संख्या के मुकाबले सिर्फ 25 प्रतिशत मजदूर की काम करते पाये गये.
इस मामले में सबसे खराब स्थिति गुमला जिले की रही. गुमला जिले में ऑडिट के लिए 92 योजनाओं का चुना गया था. मस्टर रोल में दर्ज आंकड़ों के अनुसार, इन योजनाओं में 731 मजदूरों को कार्यरत होना चाहिए था. हालांकि सिर्फ 20 मजदूर ही काम करते पाये गये. राज्य में चल रही योजनाओं में 1787 ऐसे मजदूर काम करते मिले, जिनके नाम मस्टर रोल में नहीं थे. गढ़वा,साहिबगंज और गिरिडीह में एेसे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा पायी गयी.
राज्य में चल रही योजनाओं में काम कर रहे 954 मजदूरों का जॉब कार्ड उनके पास नहीं होकर दूसरों के पास था. सिमडेगा,लोहरदगा और गिरिडीह में ऐसे मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा थी. राज्य के सात जिलों में कुल 36 योजनाओं में मशीन का इस्तेमाल करने की जानकारी मिली. इन योजनाओं में मशीन का भुगतान मजदूरों के नाम पर किया गया.
यहां सरकार अब तक वित्तीय अनियमितता के मामले में सिर्फ 9.97% राशि ही वसूल सकी है. केंद्र की ओर से सरकार को लिखे पत्र में कहा गया है कि सरकार मनरेगा में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके तहत लोकपाल के 80% पदों को भरने, स्वतंत्र सोशल ऑडिट यूनिट और स्वतंत्र निदेशकों को सक्षम बनाने और सोशल ऑडिट में पकड़ी गयी वित्तीय अनियमितता की राशि में से 50% की वसूली करने का निर्देश दिया गया है. इन शर्तों का पालन नहीं होने पर वित्तीय वर्ष 2022-23 के लेबर बजट पर इंपावर्ड कमेटी में विचार नहीं किया जायेगा.
उल्लेखनीय है कि सोशल ऑडिट के दौरान मनरेगा की योजनाओं में कुल 52.37 करोड़ रुपये की गड़बड़ी पकड़ी गयी है. सरकार ने इसके आलोक में अब तक सिर्फ 5.21 करोड़ रुपये की ही वसूली कर सकी है. सबसे ज्यादा गड़बड़ी गढ़वा जिले में 5.93 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गयी है. इस मामले में गिरिडीह दूसरे नंबर और तीसरे नंबर पर रामगढ़ जिले का नाम है. गिरिडीह में 4.95 करोड़ और रामगढ़ में 4.93 करोड़ की गड़बड़ी पकड़ी गयी है.