फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में झारखंड में 110 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ गया है. देश के कुल पांच राज्यों में ही वन क्षेत्र बढ़ा है. इसमें झारखंड भी शामिल है. वन क्षेत्र तो बढ़ा है, लेकिन राज्य में घना जंगल घट गया है.
2019 के सर्वे में झारखंड में घना वन क्षेत्र 2603.2 वर्ग किमी था. यह 2021 के सर्वे में 2601.05 वर्ग किमी हो गया है. करीब दो वर्ग किमी की कमी आयी है. पूरे राज्य में सबसे अधिक वन क्षेत्र गढ़वा में बढ़ा है. वहीं पाकुड़, लोहरदगा, लातेहार और कोडरमा में वन क्षेत्र घटा है. 2021 के सर्वे के अनुसार झारखंड के क्षेत्रफल के 29.76% में जंगल है. 2019 में यह 29.62% था.
वन विभाग के दायरे में झाड़ियां भी आती हैं, जो वन भूमि में होती हैं. 2021 में कुल 584.20 वर्ग किलोमीटर झाड़ी चिह्नित की गयी है. 2019 में यह करीब 688 वर्ग किलोमीटर में था. इसी तरह 2021 में मॉडरेट वन क्षेत्र 9688.91 वर्ग किलोमीटर पाया गया है. 2019 में यह 9687.37 वर्ग किलोमीटर था. इसी तरह 2021 में करीब 11431.18 वर्ग किलोमीटर ओपेन फॉरेस्ट पाया गया है. 2019 में 11320.85 वर्ग किलोमीटर था.
हालांकि मध्यम दर्जे का जंगल बढ़ने से कुल वन क्षेत्र 110 किमी बढ़ा, देश के कुल पांच राज्यों में ही वन क्षेत्र बढ़ागढ़वा में सबसे अधिक वन क्षेत्र बढ़ा, तो पाकुड़, लोहरदगा, कोडरमा व लातेहार में घटा. वर्ष 2019 में झारखंड में घना वन क्षेत्र 2603.2 वर्ग किमी था, 2021 के सर्वे में 2601.05 वर्ग किमी हो गया.
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया वन भूमि को तीन रूप में चिह्नित करता है. घना वन क्षेत्र (वीडीएफ), मॉडरेट वन क्षेत्र (एमडीएफ) और ओपेन फॉरेस्ट (ओएफ). घना वन क्षेत्र में 70 फीसदी या उससे अधिक एरिया में धूप नहीं दिखती है. एमडीएफ वन क्षेत्र में 40 से 70 फीसदी वन भूमि पर धूप की रोशनी नहीं आती है. ओपेन फॉरेस्ट वैसे जंगल को कहा जाता है, जहां 10 से 40 फीसदी धूप की रोशनी वन भूमि पर पड़े.
घने जंगल के घटने के कारणों को जानने की कोशिश करती चाहिए कि घना जंगल कैसे घट रहा है. कोशिश करनी चाहिए कि घना जंगल बढ़े. जब एमडीएफ और वीसीएफ में पौधरोपण होगा, तो घना जंगल बढ़ेगा.