आज भी महेंद्र सिंह के आदर्शों पर चलता है गिरिडीह का खंभरा गांव, 43 सालों में एक भी मामला नहीं पहुंचा थाने
पूर्व विधायक शहीद कॉमरेड महेंद्र सिंह का पैतृक गांव है. यह गांव आदर्श गांव की श्रेणी में आता है.
गिरिडीह जिले के बगोदर थाना क्षेत्र से आठ किमी दूर एक गांव है. खंभरा. यह गांव पूर्व विधायक शहीद कॉमरेड महेंद्र सिंह का पैतृक गांव है. यह गांव आदर्श गांव की श्रेणी में आता है. गांव में पक्की सड़कें हैं. गांव में प्रवेश करते ही किसान दंपती की प्रतिमा लगी है. यह बताता है कि यहां के लोग खेती-किसानी से जुड़े हैं. गांव के लोगों का कहना है कि इस प्रतिमा की आकृति महेंद्र सिंह ने रची थी. यह बताता है कि किसान अपनी पत्नी के साथ जलपान लेकर खेत की ओर जा रहा है. गांव में प्लस टू स्कूल है. वातावरण शांत एवं शुद्ध है. अभी भी चारों ओर से जंगलों से घिरा है. खंभरा गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि पिछले 43 सालों से कोई भी मामला बगोदर थाना की चौखट तक नहीं पहुंचा. इसे इन शब्दों में भी कह सकते हैं कि आज के दौर में जबकि सास-बहू का झगड़ा भी थाने पहुंच जाता है, खंभरा गांव के सभी विवाद ग्रामसभा में हल कर लिये जाते हैं. इस व्यवस्था की देन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी (भाकपा माले) के नेता महेंद्र सिंह थी. ग्रामीणों ने उनकी बात को समझा और आज भी उस पर अमल कर रहे हैं. भाकपा माले के नेता सह उप प्रमुख हरेंद्र सिंह बताते हैं कि महेंद्र सिंह ने पहले गांव की जमींदारी प्रथा खत्म की थी. 70-80 के दशक में गांव के लोग सरिया के विष्णु महतो जैसे सूदखोरों से परेशान थे. उनकी जमीन, खेत, सब विष्णु महतो के कब्जे में थी. लोग उस समय कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंस गये थे. सूद पर पैसे लेने के लिए किसान मजबूर थे. ऐसे में कॉमरेड महेंद्र सिंह ने महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई को धार दी और इस प्रथा को खत्म किया. कॉमरेड महेंद्र सिंह ने वर्ष 1978 में ग्राम सभा खंभरा का गठन किया. ग्राम सभा के माध्यम से गांव के झगड़े को सामाजिक पहल पर सुलझा लिया जाता था. महेंद्र सिंह के बताये इस रास्ते पर अब भी गांव के लोग चल रहे हैं. हरेंद्र सिंह ने बताया कि ग्राम सभा में दंडित किये गये ऐसे कई लोग हैं, जो इसे प्रेरणा का स्रोत मानते हैं. इसकी वजह से कई युवा आज सरकारी विभागों में कार्यरत हैं. गांव सही मायने में आदर्श गांव बन चुका है. कोई भी लड़ाई-झगड़ा, जमीन विवाद हो या चोरी-चमारी जैसी घटना, उसे गांव में ही सुलझा लिया जाता है. ग्राम सभा दोषी को आर्थिक और सामाजिक तरीके से दंडित करती है. नहीं मानने पर उन पर समाजिक दबाव बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि गांव में पीसीसी सड़क है. बिजली की सुविधा है. ग्रामीणों ने तालाब और चेकडैम के लिए अपनी जमीनें दान में दी हैं. चेकडैम करीब पांच एकड़ भू-भाग पर फैला है. इस डैम से आसपास के खेतों में सिंचाई होती है. इतना ही नहीं, गांव में सामुदायिक भवन भी है. बता दें कि कॉमरेड महेंद्र सिंह झारखंड के सबसे सम्मानित नेताओं में एक थे. सीपीआई एमएल के लोकप्रिय नेता थे. बगोदर से तीन बार विधायक चुने गये थे. 16 जनवरी 2005 को चुनाव प्रचार के दौरान नक्सलियों ने उनकी हत्या कर दी थी. आज उनकी पुण्य तिथि है. महेंद्र सिंह के क्षेत्र में आज उनके बेटे विनोद सिंह उनकी जगह विधायक हैं और अपने पिता के ही पदचिह्नों पर चलते हुए उनके सपनों को पूरा कर रहें है.