इस बार की दिवाली सचमुच दीयों वाली होगी. घर के आंगन, गलियारे, मुंडेरों और छतों को चाईनीज झालर नहीं, ये मिट्टी के दीये रौशन करेंगे. रौशनी एलईडी बल्ब से नहीं बल्कि कड़ुवा तेल से जलते दीयों की होगी. मिट्टी के दीयों में कुछ तो बात है. ये विरासत है पुरखों की. यादें हैं दादी-नानी की. दीयों में किस्सा है बचपन का. दीयों में बातें हैं गांव की गलियों की. दीया साथी है परंपरा का. दीयों में कुछ तो बात है.
Posted By- Suraj Thakur