झारखंड में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. खानपान में बढ़ती अनियमितता, जंक फूड, धूम्रपान और शराब का सेवन इसका प्रमुख कारण में हैरान करने वाले बात यह है कि इसमें युवाओं की संख्या ज्यादा है.
इसे बढ़ते खतरे को इस तरह और बेहतर ढंग से समझा जा सकता है कि 50 से 60 फीसदी मरीज एडवांस स्टेज में पहुंचते हैं तब जाकर उनकी बीमारी का पता चल पाता है. एचसीजी कैंसर अस्पताल द्वारा आयोजित सेमिनार में यह बात सामने आयी है.
ज्यादातर लोग इसकी शुरुआती लक्षण और बरते जानी वाली सावधानी को नहीं समझते और खतरा बड़े स्तर तक बढ़ जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार देश में हर साल 11 लाख कैंसर के मरीज मिलते हैं, जिसमें सात लाख रोगियों की मौत हो जाती है. वहीं झारखंड में हर साल करीब 35 हजार नये कैंसर रोगियों की पहचान होती है.
कैंसर के नये मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के कैंसर विंग के आंकड़े भी हैरान करते हैं. कैंसर विंग के विभाग मेडिकल अंकोलॉजी, सर्जिकल अंकोलॉजी व रेडियोथैरेपी अंकोलॉजी में प्रतिदिन 70 से 80 कैंसर मरीज इलाज कराने आते हैं. इसमें 30 फीसदी नये मरीज होते हैं. 50 फीसदी गंभीर मरीजों के पास सर्जरी ही अंतिम विकल्प होता है. वहीं 25 फीसदी को दवा और 25 फीसदी को रेडियोथैरेपी से इलाज किया जाता है.