चीन के साथ एलसीए (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारतीय सेना अलर्ट मोड में हैं. चीन की चालबाजी पर लगातार नजरें रखी जा रही है. इसी बीच ऐसी खबरें सामने आ रही है जिससे चीन के होश जरूर उड़ने वाले हैं. पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना बैक्ट्रियन कैमल का सहारा लेगी. बैक्ट्रियन कैमल दो कूबड़ वाले ऊंट होते हैं. कभी इनका इस्तेमाल सिल्क रूट के व्यापार के लिए किया जाता था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैक्ट्रियन कैमल को दौल्त बेग ओल्डी और देप्सांग में तैनात किया जाएगा. मतलब 17 हजार किमी की ऊंचाई पर सेना की पेट्रोलिंग को बैक्ट्रियन कैमल आसान बनाएगा. इन ऊंटों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये रेत पर नहीं चल पाते हैं. ये बर्फीली जमीन के हिसाब से बने हैं. देखिए हमारी खास पेशकश.
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भारत-चीन तनाव: लद्दाख में बैक्ट्रियन ऊंट कैसे सिखाएंगे ड्रैगन को सबक?
चीन के साथ एलसीए (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव के बीच भारतीय सेना अलर्ट मोड में हैं. चीन की चालबाजी पर लगातार नजरें रखी जा रही है. इसी बीच ऐसी खबरें सामने आ रही है जिससे चीन के होश जरूर उड़ने वाले हैं. पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना बैक्ट्रियन कैमल का सहारा लेगी. बैक्ट्रियन कैमल दो कूबड़ वाले ऊंट होते हैं. कभी इनका इस्तेमाल सिल्क रूट के व्यापार के लिए किया जाता था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बैक्ट्रियन कैमल को दौल्त बेग ओल्डी और देप्सांग में तैनात किया जाएगा. मतलब 17 हजार किमी की ऊंचाई पर सेना की पेट्रोलिंग को बैक्ट्रियन कैमल आसान बनाएगा. इन ऊंटों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये रेत पर नहीं चल पाते हैं. ये बर्फीली जमीन के हिसाब से बने हैं. देखिए हमारी खास पेशकश.
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