झारखंड आंदोलन के नायक और झारखंड मुक्ति मोरचा के संस्थापक सदस्य शिबामहतो का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया. शिबामहतो की उम्र 104 साल की थी. लंबे समय से बीमार चल रहे थे बेहतर इलाज उपलब्ध ना होने की वजह से इनका निधन हो गया. अचानक उन्हें सांस लेने में तकलीफ हुई जिसके बाद उनका निधन हो गया.
उनके निधन से पूरे झारखंड में शोक की लहर है. JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन ने शोक प्रकट किया है. डुमरी विधानसभा क्षेत्र से तीन बार जन प्रतिनिधि रहे शिबामहतो सामाजिक उत्थान के लिए सदैव तत्पर रहने वाले जननेता थे. राजनीति में आनेवाले नवयुवकों के लिए वो प्रेरणास्रोत थे.
शिबामहतो शिबू सोरेन की तरह ही सूदखोरों, महाजनों एवं माफिया के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए अलग झारखंड राज्य के आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभायी थी. जब कोई सूदखोर, माफिया और महाजनों के खिलाफ कोयलांचल में मुंह खोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे, तब शेर-ए-शिबाने दहाड़ते रहे. अपने खास खोरठा में भाषण देने की शैली के कारण लोग इन्हें दूर-दूर से सुनने के लिए सभाओं में पहुंचते थे.
झामुमो के संस्थापक सदस्य और झारखंड आंदोलन के जनक विनोद बिहारी महतो, कामरेड एके राय जैसे दिग्गज आंदोलकारियों की कतार में शिबामहतो का नाम भी लिया जाता है. झारखंड आंदोलन के दौरान अपने भाषण से जोश भरने वाले शिबामहतो को ‘झारखंड का शेर’ भी कहा जाता था. उनकी पहचान नुकीली मूंछ और सिर पर हरी पगड़ी भी थी.
शिबामहतो डुमरी विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गये. पहली बार 1980 में झामुमो से चुनाव जीते. दूसरी बार 1985 में विधायक बने तथा तीसरी बार 1995 में डुमरी सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. झारखंड और झारखंडियों के हित में सदैव आवाज बुलंद करते रहे.. शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के भी राजनीतिक गुरु रहे.