Jharkhand Assembly Election 2024: चंदनक्यारी में घिरेंगे बाउरी या तोड़ेंगे चक्रव्यू? देखें वीडियो
Jharkhand Assembly Election 2024: चंदनक्यारी के राजनीतिक इतिहास राजनीतिक उतार-चढ़ाव की. 1952 में हुए पहले चुनाव में चंदनक्यारी विधानसभा क्षेत्र का नाम चास चंदनक्यारी-रघुनाथपुर-पाड़ा था. तब मानभूम का हिस्सा था. इस सीट से काशीपुर पंचकोर्ट स्टेट के महाराजा शंकरी प्रसाद सिंह देव पहले विधायक थे. वर्तमान 2024 के विधानसभा चुनाव में चंदनक्यारी एक नये राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है.
Jharkhand Assembly Election 2024: चंदनक्यारी की कोख में छिपे हैं आठ सौ साल पुराने रहस्य. यहां जैन धर्म व हिन्दू देवी-देवताओं से संबंधित प्राचीन अवशेष मिलते रहे हैं. बंगाल में पाल व सेन वंश के पौराणिक शासन में चंदनक्यारी धर्मनगरी के रूप में स्थापित हुई. चंदनक्यारी का शिवमंदिर, भैरवनाथ धाम, चिटकरी धाम, बेलूट और चास का चेचका धाम धार्मिक-पौराणिक धरोहर हैं. भैरवनाथ धाम का ऐतिहासिक महत्व है. पूर्व की मानभूम जिले की इस स्थान को कुंती वर्जित भूमि भी कहा गया है. ऐसी दंत कथा जहां पांडवों के अज्ञातवास के समय पर पांडव माता कुंती एवं भाइयों के साथ यहां ठहरे हुए थे. ये चंदनक्यारी का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व था. अब बात करते हैं, चंदनक्यारी के राजनीतिक इतिहास राजनीतिक उतार-चढ़ाव की. 1952 में हुए पहले चुनाव में चंदनक्यारी विधानसभा क्षेत्र का नाम चास चंदनक्यारी-रघुनाथपुर-पाड़ा था. तब मानभूम का हिस्सा था. इस सीट से काशीपुर पंचकोर्ट स्टेट के महाराजा शंकरी प्रसाद सिंह देव पहले विधायक थे. 1956 में बिहार- बंगाल के विभाजन के बाद यह सीट रिजर्व नहीं थी. 1967 में अनुसूचित जाति के लिए इस सीट को आरक्षित कर दिया गया. इस आरक्षित से 1967 में यहां से शशि बाउरी पहले विधायक विधायक बने. 1972 में चास और चंदनक्यारी को मिलाकर चंदनकियारी विधानसभा बना. 80 के दशक से ही इस सीट पर कांग्रेस, मासस- झामुमो और भाजपा का जनाधार रहा है. बाद के चुनाव में यहां की राजनीति बदलती गयी. वर्तमान 2024 के विधानसभा चुनाव में चंदनक्यारी एक नये राजनीतिक मोड़ पर खड़ा है.