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झारखंड के सरकारी स्कूल की इस नन्ही टीचर के पढ़ाने का अंदाज देख हो जायेंगे फैन

झारखंड के दुमका जिले में कई सरकारी प्राथमिक विद्यालय व उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. एक सरकारी स्कूल में है नन्ही टीचर तन्नू कुमारी, जो बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाती है.

झारखंड के दुमका जिले में कई सरकारी प्राथमिक विद्यालय व उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. एक सरकारी स्कूल में है नन्ही टीचर तन्नू कुमारी, जो बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाती है.

झारखंड के दुमका जिले में कई सरकारी प्राथमिक विद्यालय व उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय ऐसे हैं, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. ऐसे स्कूलों में कार्यावधि के दौरान ताला लटके मिलने, शिक्षक के नदारद रहने, बच्चों के वर्ग से गायब रहने की अक्सर खबरें आती रहती हैं, लेकिन कुछ स्कूल ऐसे भी हैं.

जहां शिक्षक ने अकेला रहने के बावजूद ऐसी तरकीब निकाल रखी है, ताकि पढ़ाई बाधित न हो. हालांकि पहली से पांचवीं या पहली से आठवीं तक के बच्चों को एक साथ बिठाकर पढ़ाना उनके लिए मजबूरी भी है. ऐसे में तेज तर्रार छात्र को ही शिक्षक की भूमिका में वे ढाल देते हैं. इन्हीं में एक है नन्ही टीचर तन्नू कुमारी, जो उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय, लेटो में बच्चों को पूरी तन्मयता से पढ़ाती है.

नन्ही टीचर तन्नू पढ़ा रही थी गिनती

प्रभात खबर की टीम सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का जायजा लेने के क्रम में दुमका के लेटो उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पहुंची. वहां एक ही शिक्षक पदस्थापित हैं. शिक्षक कुछ कार्यालय का कामकाज निबटा रहे थे. इस दौरान स्कूल में पढ़ने वाली छोटी सी बच्ची तन्नू कुमारी पहली से पांचवीं कक्षा को संभाल रही थी. इस विद्यालय में नामांकित 36 बच्चों में से भले ही कुछ कम बच्चे क्लास में मौजूद थे, पर तन्नू हाथ में छड़ी लेकर ब्लैक बोर्ड पर वन से हंड्रेड(1-100) तक की गिनती पढ़ा रही थी.

पढ़ाने वक्त क्लास में था अनुशासन

सरकारी स्कूल की नन्ही टीचर तन्नू जब क्लास में बच्चों को गणित पढ़ा रही थी, उस वक्त उसे सुनकर दूसरे बच्चे भी दोहरा रहे थे. इस दौरान क्लास में अनुशासन भी था. शिक्षक सुबान हांसदा ने बताया कि तन्नू हमेशा आगे बढ़कर इस भूमिका में रहती है. उसे यह अच्छा लगता है और जब हमारी व्यस्तता रहती है तो वह क्लास के बच्चों को पढ़ाने में व्यस्त रहती है. इससे बच्चे क्लास से निकलते नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसे तीन-चार छात्र बारी-बारी से पढ़ाते हैं. इससे वे अपना अभ्यास भी करते है और उनमें नेतृत्व क्षमता भी विकसित होती है.

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