नक्सलियों के गढ़ झुमरा पहाड़ की बदल रही है फिजा,आत्मनिर्भरता की मिसाल बने किसान प्रेमचन्द महतो
बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अतंर्गत पचमो पंचायत एक वक्त नक्सल क्षेत्र को लेकर अपनी पहचान रखता है झुमरा पहाड तो उन ठिकानों में एक था जहां सरकारी अधिकारी भी जाने से डरते थे. आज यह गांव अपनी पहचान बदल रहा है.
बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अतंर्गत पचमो पंचायत एक वक्त नक्सल क्षेत्र को लेकर अपनी पहचान रखता है झुमरा पहाड तो उन ठिकानों में एक था जहां सरकारी अधिकारी भी जाने से डरते थे. आज यह गांव अपनी पहचान बदल रहा है.
65 वर्षीय वृध किसान प्रेमचन्द महतो अपनी मेहनत के दाम पर गांव की अलग पहचान बना रहे हैं. 50 बत्तख से शुरूआत करने वाले प्रेमचंद आज 500 से ज्यादा बत्तख के मालिक है. खेती बारी से बचे समय को वह इस क्षेत्र में देते हैं, उनका मानना है कि जबतक हाथ पैर सही सलामत है और शरीर में जान है बैठना नहीं चाहिए , कुछ ना कुछ करते रहना चाहिए.
ब्यर्थ का समय बरबाद करने से बेहतर है कि कोई काम किया जाये. इससे स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा और आर्थिक रूप से कमाइ होगा, पूर्व मे अपने खेत मे बने तालाव मे बतक का पालन कर रहे है, आर्थिक सकंट के चलते हेचरी नही खरीद पा रहे है स्व निर्मित हेचरी से हीं अडें से चूजा निकालते है, इसमे नुकसान भी उठाना पडरहा है,हेचरी की कीमत काफी होने से फिलहाल नही खरीद पारहे है.
गोमिया प्रखंड के द्वारा सरकारी सहायता एक बतक शेड का निर्माण किया गया है,श्री महतो बतक के साथ कडक नाथ मुर्गा और मुर्गियों का भी पालन कर रहे है, बतक से प्रतिदिन सौ से दौ सौ अंडा निकलता है,जो निकट के हाट बाजार जैसे रामगड, घाटो,केदला ,कुजू आदि बाजारों मे बिक्री करते है.
श्री महतो का कहना है कि सरकारी सहायता मिले तो बतक पालन को और भी विकसीत किया जा सकता है,सरकारी सहायता मे बीडीओ गोमिया कपिल कुमार के द्वारा नरेगा विभाग से एक बतक शेड दिया गया है, सरकारी सहायता व बैंक से लोन मिले तो और भी बड़े स्तर पर यह काम कर सकते हैं.