रांची के लोअर बर्धमान कम्पाउंड में रहने वाली झारखंड की आंदोलनकारी 84 वर्षीय सीता रानी जैन नये कपड़ों के कतरन से गणेश जी की प्रतिमा बनातीं हैं. वह कहती हैं कि इससे उन्हें आध्यात्मिक शांति मिलती है. प्रति दिन 8-10 घंटा कपड़े से मूर्ति बनाने में लगातीं हैं. गणेश जी की एक प्रतिमा बनाने में उन्हें आठ से 10 दिन लग जाते हैं. सीता जी गणेश की प्रतिमा को सिर्फ बनाती ही नहीं हैं, अपने हुनर से उन्हें गहनों से सजाती-संवारती भी हैं. इन मूर्तियों को वह बाजार में नहीं बेचतीं. सिर्फ लोगों को उपहार और आशीर्वाद स्वरूप भेंट करतीं हैं. अब तक 1,500 लोगों को कपड़े मूर्ति भेंट कर चुकीं हैं. सीता रानी जैन के बनाये गणेश की प्रतिमा देश-विदेश तक पहुंच चुकी है. अलग झारखंड राज्य के लिए आंदोलन करने वालीं सीता रानी शुरू से बेहद हिम्मती रहीं हैं. वर्षों पहले फिरायलाल चौक पर बैंक ऑफ इंडिया के नीचे उनका एक होटल था. अचार-पापड़ आदि व्यंजन बनाने में भी वह माहिर हैं. कहतीं हैं कि कपड़े का गणेश बनाकर आंतरिक शांति मिलती है.ऐसा लगता है कि मेरे कपड़े के गणेश में स्वयं गणपति विराजमान हैं.
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VIDEO: झारखंड आंदोलनकारी 84 साल की सीता रानी जैन अपने हाथों से बनाती हैं कपड़े के गणपति
सीता रानी जैन नये कपड़ों के कतरन से गणेश जी की प्रतिमा बनातीं हैं. वह कहती हैं कि इससे उन्हें आध्यात्मिक शांति मिलती है. प्रति दिन 8-10 घंटा कपड़े से मूर्ति बनाने में लगातीं हैं. गणेश जी की एक प्रतिमा बनाने में उन्हें आठ से 10 दिन लग जाते हैं.
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