दुमका में मयूराक्षी नदी पर झारखंड का सबसे लंबा पुल बनकर तैयार हो गया है. शहर से सटे दुमका एयरपोर्ट-चकलता पथ पर मुड़ाबहाल से आगे कुमड़ाबाद में इस पुल का एक छोर है, तो दूसरा मसलिया के मकरमपुर में. यानी यह पुल दुमका सदर प्रखंड के कुमड़ाबाद को मसलिया के मकरमपुर को जोड़ते हुए सिंगरी-हरको पथ से कनेक्ट कर रही है. इस उच्चस्तरीय पुल के बन जाने से जिले की एक बड़ी आबादी दुमका शहर के 14-15 किलोमीटर नजदीक आ गयी है. पुल बनने से पहले मकरमपुर से दुमका जिला मुख्यालय की दूरी 30 किलोमीटर से भी अधिक थी. दुमका शहर आने के लिए मसलिया प्रखंड के कोलारकोंदा पंचायत के मकरमपुर समेत दर्जनों गांव के ग्रामीणों को काफी घुमकर दुमका आना पड़ता था, पर पुल बन जाने से ऐसे लोग सीधे मकरमपुर से कुमड़ाबाद होते हुए दुमका पहुंच पा रहे हैं. यह दूरी मात्र 15 किलोमीटर की ही है.
पहुंच पथ सहित 2.800 किलोमीटर लंबे इस पुल की चौड़ाई 16 मीटर हैं. हालांकि] बीच में सात स्पैन के बीच पुल को 30 मीटर चौड़ा किया गया है. जो सेल्फी प्वाइंट से लेकर पार्किंग जोन भी साबित होगा. बनते के साथ ही यह पुल सैलानियों को भी आकर्षित कर रहा है. इस पुल के निर्माण में लगभग 198.11 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. मकरमपुर सहित कई गांव ऐसे हैं, जो पहले दुमका शहर से सटे थे. यानी नदी आवागमन में बाधक नहीं थी. मसानजोर डैम बनने के बाद बीच का इलाका डूब गया, तो मकरमपुर की आधी आबादी डैम के डूबक्षेत्र के उस पार रह गयी थी. एक तरह से उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. अब पुल बन जाने से ऐसे मसानजोर विस्थापित अब अपने सगे-संबंधियों से मिलने आने-जाने में परेशान नहीं होंगे. नौका से जाने की या घुमावदार रास्ते से जाने की जरूरत नहीं रहेगी. कॉलेज आने-जाने में युवाओं को सहुलियत होगी, तो व्यापार-रोजी-रोजगार भी समृद्ध होगा.