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Video : संकट में है झारखंड के पहाड़, दो दर्जन से अधिक पहाड़ियां हुईं गायब

अवैध माइनिंग से दो दर्जन से ज्यादा पहाड़ियां गायब हो गयी हैं. जिन पहाड़ों के बनने में करोड़ों साल लग जाते हैं

अवैध माइनिंग से दो दर्जन से ज्यादा पहाड़ियां गायब हो गयी हैं. जिन पहाड़ों के बनने में करोड़ों साल लग जाते हैं, उनमें से कई पहाड़ों को पत्थर माफियाओं ने पिछले दो दशक में मटियामेट कर दिया है. पूरा मामला पलामू जिले के छतरपुर अनुमंडल क्षेत्र सहित अन्य इलाकों का है. अवैध खनन के कारण पलामू के बुढ़ीबीर पहाड़, चोटहासा पहाड़, करसो पहाड़ी, खोरही, सेमरा (सभी चैनपुर) बिसुनपुरा, मुनकेरी, ढकनाथान, मुकना, गानुथान, महुअरी, रसीटांड़, गोरहो, सलैया, हड़ही, लाम्बातर, सिलदाग के आसपास की तीन पहाड़ियां, हुटुकदाग, चेराईं और बरडीहा इलाके की कई पहाड़ियां (छतरपुर और नौडीहा प्रखंड क्षेत्र) जैसी कई पहाड़ियों का अस्तित्व खतरे में है. इनमें कई पहाड़ियां वनक्षेत्र के तहत आती हैं.

पत्थर माफियाओं ने भ्रष्ट अफसरों और नेताओं की मिलीभगत से इन पहाड़ों को जड़ से खोदकर बेच दिया. नियम-कानून की धज्जियां उड़ाते हुए इन पहाड़ों की खुदाई बदस्तूर जारी है. पहाड़ों में खनन के लिए बेहिसाब पेड़ काटे गये. काटे गये पेड़ों की जगह नये पेड़ नहीं लगाये गये. इनमें कई पहाड़ वनक्षेत्र में हैं. दुर्भाग्य यह है कि वन विभाग अवैध खनन को जान बूझकर नजर अंदाज करते हुए पत्थर माफियाओं को एक तरह से जंगल और पहाड़ उजाड़ने में अघोषित मदद कर रहा है. गांव के भोले भाले लोगों से माफिया पहाड़ तुड़वा रहे हैं. जो मजदूर पत्थर तोड़ने के काम में लगे हैं, उनमें कईयों की मौत सिलकोसिस जैसी बीमारियों से हो रही है. मजे की बात यह है कि जिन पत्थर खदानों को प्रशासनिक महकमा वैध बताता है, उनमें अधिकतर पत्थर खदान फर्जी रिपोर्ट पर हासिल किये गये हैं. ऐसे पत्थर खदान जमीनी रूप से पूरी तरह अवैध हैं. ऐसे पत्थर खदानों की लीज लेने के लिए फर्जी ग्रामसभाएं की गयीं. कृषि योग्य भूमि, देव स्थल, स्टेट या नेशनल हाइवे, जलाशय, आबादी, विद्यालय, श्मशान घाट आदि की तय निर्धारित दूरी को गलत लिखकर लीज दिया गया. वक्त पड़ने पर प्रशासनिक महकमा इन पत्थर खदानों को वैध बताने में अपनी जी जान लगा देता है, ताकि प्रशासन और उनके अधिकारियों का असली चेहरा सामने न आ जाए.

प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता जवाहर मेहता, अम्बिका सिंह आदि का कहना है कि अगर निष्पक्ष जमीनी जांच हो, तो आज भी झारखंड के आधे से अधिक कथित वैध पत्थर खदान पूरी तरह अवैध मिलेंगे. खनन करनेवाले लोगों ने पहले पहाड़ खोदकर जमीन से मिला दिया और अब जमीन खोदकर पाताल से मिला रहे हैं. अवैध खनन के धंधे में हर तबके के लोग शामिल हैं. नेताओं, पुलिस और प्रशासनिक महकमे से लेकर कई नौकरशाह तक, कइयों के तो उनके चहेतों या पारिवारिक सदस्यों या रिश्तेदारों के माइंस और क्रशरों में हिस्सेदारी भी हैं. जिनके नहीं हैं, उन्हें बाकायदा महीना बंधा है.

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