Video : अधर में झारखंड के युवाओं का भविष्य, नौकरी मिलने से पहले ही न खत्म हो जाए उम्र
हजारों की उम्र खत्म होनेवाली है. फिलहाल नियुक्ति के लिए युवाओं को इंतजार करना पड़ रहा है.
झारखंड के अभ्यर्थी अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं. नियुक्तियां नहीं होने से हजारों युवाओं की उम्र सीमा समाप्त हो गयी है, जबकि हजारों की उम्र खत्म होनेवाली है. फिलहाल नियुक्ति के लिए युवाओं को इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसा नियमावली बनाने में विलंब के कारण हो रहा है. नियुक्तियों में होनेवाले विलंब व प्रतियोगिता परीक्षा प्रक्रिया रद्द करने को देखते हुए अभ्यर्थियों में उम्र सीमा को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. इसबार 12 परीक्षाओं को रद्द किया गया है. इसमें भी हजारों वैसे अभ्यर्थी शामिल थे, जिनका यह अंतिम अवसर था. तृतीय वर्ग स्तरीय पदों पर नियुक्ति के लिए जेएसएससी परीक्षा आयोजित करता है तथा अभ्यर्थियों का चयन कर नियुक्ति की अनुशंसा राज्य सरकार से करता है.
लेकिन, वर्ष 2021 की जेएसएससी स्नातक स्तर परीक्षा संचालन नियमावली हाइकोर्ट से रद्द होने के बाद से अब तक नयी नियमावली नहीं बनायी जा सकी है. बिना नियमावली के जेएसएससी परीक्षा का संचालन कैसे करेगा. आयोग ने नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी. 12 विज्ञापनों में लगभग 11,11,638 से अधिक अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था. इसमें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों ने 100 व आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों ने 50 रुपये बतौर परीक्षा शुल्क जमा किया है. इससे आयोग के खाते में सात करोड़ रुपये जमा हुए हैं. अभ्यर्थियों की मांग है कि जेएसएससी उनका परीक्षा शुल्क वापस कर दे अथवा नये सिरे से निकलनेवाले विज्ञापन में उस राशि को परीक्षा शुल्क के रूप में समाहित कर दिया जाये.
हालांकि जेएसएससी ने इसके पहले भी कई प्रतियोगिता परीक्षाओं की प्रक्रिया रद्द की है. उन परीक्षाओं में आवेदन करनेवाले अभ्यर्थियों से बाद में निकलनेवाले विज्ञापन में परीक्षा शुल्क नहीं लिया गया है. पूर्व के आवेदन का रजिस्ट्रेशन नंबर आयोग द्वारा अवश्य मांगा जाता है, ताकि अभ्यर्थी द्वारा पूर्व में जमा किये गये परीक्षा शुल्क को एडजस्ट किया जा सके. जेएसएससी स्नातक स्तर परीक्षा संचालन नियमावली को वर्ष 2022 में झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ ने रद्द कर दिया था. साथ ही चल रही सभी नियुक्ति प्रक्रियाओं को भी रद्द कर दिया था. हाइकोर्ट ने नियमावली को असंवैधानिक बताया था. राज्य सरकार ने हाइकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देने तथा नयी नियमावली बनाने की बात कही है.