हिजाब विवाद पर जानिये सबकुछ, क्या कहता है संविधान

देश में हिजाब को लेकर विवाद तेज है. इस विवाद में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले लोग हिजाब, बुर्के और नकाब में फर्क नहीं बता पायेंगे. हिजाब विवाद पर चर्चा बाद में पहले हिजाब, बुर्के और नकाब में फर्क समझ लीजिए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2022 3:04 PM

हिजाब विवाद पर जानिये सबकुछ, क्या कहता है संविधान I Hijab Controversy Karnataka

देश में हिजाब को लेकर विवाद तेज है. इस विवाद में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने वाले लोग हिजाब, बुर्के और नकाब में फर्क नहीं बता पायेंगे. हिजाब विवाद पर चर्चा बाद में पहले हिजाब, बुर्के और नकाब में फर्क समझ लीजिए.

हिजाब क्या है : मॉडर्न इस्लाम में हिजाब का अर्थ का पर्दा. कुरान में हिजाब का ताल्लुक कपड़े के लिए नहीं, बल्कि एक पर्दे के रूप में किया गया है, जो औरतों और आदमियों के बीच होना जरूरी है. . कपड़ों के लिए खिमर (सिर ढकने के लिए) और जिल्बाब (लबादा) शब्दों का जिक्र है. हिजाब के अंतर्गत औरतों और आदमियों दोनों को ही ढीले और आरामदेह कपड़े पहनने को कहा गया है, साथ ही अपना सिर ढकने की बात कही गई है.

नकाब: नकाब या निकाब चेहरा छुपाने का कपड़ा होता है. इसमें सिर पूरी तरह से ढका हुआ होता है. कई देशों में औरतों को अपना चेहरा भी छिपाने को कहा जातचा है. ऐसे में नकाब का काम होता है सिर, चेहरा को ढकते हुए सिर्फ आंखें खुली रखना.

बुर्का: भारत में अक्सर मुसलमान औरतों द्वारा पहने जाने वाले काले लबादे जैसी पोशाक को हम बुर्का कह देते हैं. दरअसल बुर्का उससे कुछ अलग होता है. नकाब का ही अगला स्तर बुर्का है. जहां नकाब में आंखों के अलावा पूरा चेहरा ढका होता है, बुर्के में आंखें भी ढकी होती हैं. आंखों के स्थान पर या तो एक खिड़कीनुमा जाली बनी होती है या कपड़ा हल्का होता है जिससे आर-पार दिख सके.इसके अलावा भी अल-अमीरा,अबाया , दुपट्टा जैसी कई चीजें हैं जो पहनावे से जुड़ी हैं.

अब पूरा विवाद समझिये

कर्नाटक के उडुपी जिले के मणिपाल स्थित महात्मा गांधी मेमोरियल कॉलेज में मंगलवार को उस समय तनाव काफी बढ़ गया, जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के दो समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की. सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में लड़कों का एक समूह हिजाब पहनी लड़कियों के आगे जाकर नारेबाजी करता नजर आ रहा है. इस वीडियो ने पूरे देश में एक बहज छेड़ दी है.

राजनीति तेज है, इस विवाद ने ना सिर्फ कर्नाटक बल्कि देशभर में एक बड़े मुद्दे को खड़ा कर दिया है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस खबर की चर्चा होने लगी है और पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने भी अपनी प्रतिक्रिया दे दी. इससे पहले के देश के नेताओं के बयान से इसकी राजनीति को समझने की कोशिश करें जरूरी है कि हम मलाला के बयान को भी समझें

’हिजाब पहनी हुई लड़कियों को स्कूलों में एंट्री देने से रोकना भयावह है. कम या अधिक कपड़े पहनने के लिए महिलाओं का वस्तुकरण किया जाता है. भारतीय नेताओं को मुस्लिम महिलाओं को हाशिए पर जाने से रोकना चाहिए.

जाहिर है कर्नाटक के हिजाब विवाद की गूंज अब देश-विदेश में भी सुनाई देने लगी है. बुधवार को महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, नयी दिल्ली और तेलंगाना समेत कई राज्यों में हिजाब के समर्थन में मुस्लिम छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया. इन सबके बीच हिजाब पहने एक छात्रा मुस्कान इन दिनों चर्चा का विषय बन गई है. मुस्कान का अल्लाह-ओ-अकबर के नारा वाला वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. ना सिर्फ कर्नाटक बल्कि देश में दो समूह हो गये है एक हिजाब के समर्थन में तो दूसरा उसके विरोध में. मामला अदालत में है और कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने इसे बड़ी बेंच में सुनवाई के लिए रेफर कर दिया है.

कोर्ट तक पहले भी पहुंचा है मामला

यह पहली बार नहीं है जब धार्मिक पहचान, प्रतीकों या धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़े मामले हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं. 1950 से लेकर अबतक इसी तरह के कई मामलों में उच्च न्यायपालिका फैसले सुना चुकी है लेकिन इन फैसलों को समझने से बेहतर है कि आप देश के संविधान में मिले अधिकार को समझिये संविधान में मिले धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर डालते हैं.

भारतीय संविधान

भारतीय संविधान में अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की व्यवस्था है। सबसे पहले बात अनुच्छेद 25 की जो सभी नागरिकों को अंतःकरण की और धर्म के अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है। लेकिन ये पूर्ण स्वतंत्रता नहीं है, इस पर शर्तें लागू हैं. आर्टिकल 25 (A) कहता है- राज्य पब्लिक ऑर्डर, नैतिकता, स्वास्थ्य और राज्य के अन्य हितों के मद्देनजर इस अधिकार पर प्रतिबंध लगा सकता है.

Next Article

Exit mobile version