Navratri 2022: पहले दिन क्यों होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानें क्या है पौराणिक कथा

Navratri 2022: सनातन धर्म में दुर्गा के नव स्वरूपों की अराधना की जाती है. आज से नवरात्रि की शुरुआत हो रही और पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है. इन नवों दुर्गा को पापों की विनाशिनी माना जाता है. वैसे तो हर देवी के अलग-अलग वाहन और अस्त्र शस्त्र हैं, लेकिन यह सब एक ही हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 26, 2022 3:20 PM

Navratri 2022: नवरात्रि के पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा, जानें क्या है पौराणिक कथा

सनातन धर्म में दुर्गा के नव स्वरूपों की अराधना की जाती है. आज से नवरात्रि की शुरुआत हो रही और पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है. इन नवों दुर्गा को पापों की विनाशिनी माना जाता है. वैसे तो हर देवी के अलग-अलग वाहन और अस्त्र शस्त्र हैं, लेकिन यह सब एक ही हैं. मां शैलपुत्री की पूजा में पीले वस्‍त्र धारण करने चाहिए. लेकिन उन्हें सफेद रंग प्र‍िय माना जाता है. उनकी पूजा में सफेद रंग के फूल और मिठाई का भोग लगाना शुभ होता है. माता के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल विराजमान होता है. मां शैलपुत्री को स्नेह, करूणा, धैर्य और इच्छाशक्ति की देवी माना जाता है.

क्या है मां शैलपुत्री की पैराणिक कथा

मां शैलपुत्री की कथाओं की बात करें तो देवी भागवत पुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया. उसमें सभी देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा लेकिन अपने ही जमाता भगवान शिव और पुत्री सती को नहीं बुलाया. देवी सती भगवान शिव के मना करने के बाद भी पिता के यज्ञ समारोह में चली गई. वहां पर अपने पति भगवान शिव के अपमान से नाराज हो कर,उन्होंने यज्ञ का विध्वंस कर दिया. यज्ञ में अपनी आहूति देकर आत्मदाह कर लिया था. इससे कुपित होकर भगवान शिव ने दक्ष का वध कर, महासमाधि धारण कर ली. जिसके बाद से देवी सती ने पर्वतराज हिमालय के घर में देवी पार्वती या माता शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया. वहीं, कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पुनः पति के रूप में प्राप्त किया और शैलपुत्री का विवाह भी फिर से भगवान शंकर से हुआ. शैलपुत्री शिव की अर्द्धांगिनी बनीं.

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