Malmas 2020: कब से शुरू हो रहा है मलमास, जानें इसका क्या है महत्व?

मलमास आरंभ होने जा रहे हैं. मलमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा. मलमास में किसी भी शुभ और नए कार्य को नहीं किया जाता है. मलमास को अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. मलमास में शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि जैसे शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. शुभ कार्यों को मलमास में निषेध माना गया है. पंचांग के अनुसार मलमास या अधिक मास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है. सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है. चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है. यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर होता है. इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है. इसी को मलमास कहा जाता है. दरअसल, अभी पितृपक्ष चल रहा है. पितृपक्ष 17 सितंबर को समाप्त हो जाएगा. इस बार पितृपक्ष समाप्त होने के एक महीने बाद नवरात्र शुरू होगा. क्योंकि, इस बार मलमास आरंभ होने जा रहा है. मलमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा. मलमास में में भगवान विष्णु की पूजा होती है. मलमास खत्म होने के बाद 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मलमास में भगवान का स्मरण करना चाहिए. अधिक मास में किए गए दान आदि का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है. इस मास को आत्म की शुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है. अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास करने चाहिए. आत्म चिंतन करते मानव कल्याण की दिशा में विचार करने चाहिए. सृष्टि का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्वजों का धन्यवाद करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 6, 2020 6:35 PM

Malmas 2020: कब से शुरू हो रहा है मलमास, जानें इसका क्या है महत्व?  | Prabhat Khabar

मलमास आरंभ होने जा रहे हैं. मलमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा. मलमास में किसी भी शुभ और नए कार्य को नहीं किया जाता है. मलमास को अधिक मास और पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. मलमास में शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि जैसे शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. शुभ कार्यों को मलमास में निषेध माना गया है. पंचांग के अनुसार मलमास या अधिक मास का आधार सूर्य और चंद्रमा की चाल से है. सूर्य वर्ष 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है. चंद्र वर्ष 354 दिनों का माना जाता है. इन दोनों वर्षों के बीच 11 दिनों का अंतर होता है. यही अंतर तीन साल में एक महीने के बराबर होता है. इसी अंतर को दूर करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास आता है. इसी को मलमास कहा जाता है. दरअसल, अभी पितृपक्ष चल रहा है. पितृपक्ष 17 सितंबर को समाप्त हो जाएगा. इस बार पितृपक्ष समाप्त होने के एक महीने बाद नवरात्र शुरू होगा. क्योंकि, इस बार मलमास आरंभ होने जा रहा है. मलमास 18 सितंबर से शुरू होकर 16 अक्टूबर तक रहेगा. मलमास में में भगवान विष्णु की पूजा होती है. मलमास खत्म होने के बाद 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू होगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मलमास में भगवान का स्मरण करना चाहिए. अधिक मास में किए गए दान आदि का कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है. इस मास को आत्म की शुद्धि से भी जोड़कर देखा जाता है. अधिक मास में व्यक्ति को मन की शुद्धि के लिए भी प्रयास करने चाहिए. आत्म चिंतन करते मानव कल्याण की दिशा में विचार करने चाहिए. सृष्टि का आभार व्यक्त करते हुए अपने पूर्वजों का धन्यवाद करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा मिलता है.

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