जिन गलियों में कभी बचपन गुजरा था, उन्हीं गलियों से तिरंगे में लिपटे जब इस वीर सैनिक की अंतिम यात्रा निकली तो मार्मिक नजारा दिखा. सड़क के दोनों ओर खड़ी भीड़ की आंखों में आंसू थे. दिल में रोष था और चेहरे में बेइंतिहा गर्व. ये अंतिम यात्रा थी, मां भारती की सेवा में प्राणों का बलिदान कर देने वाले जवान अभिषेक कुमार साहू की.
Posted By- Suraj Thakur