पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने एक साल जेल की संख्त सजा सुनायी है. साल 1988 के एक मामले में उन्हें यह सजा सुनायी गयी है. सिद्धू के हमले में एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी.
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 1 हजार रुपए का जुर्माना देकर छोड़ दिया था लेकिन पीड़ित पक्ष के गुहार की वजह से कोर्ट ने यह सख्त फैसला सुनाया है. सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला 34 साल पुराना है. दिसंबर 1988 में पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया था.
सिद्धू पर आरोप है कि उन्होंने बुजुर्ग के साथ मारपीट की बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई. पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ भी गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था. इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू पर केस चला सेशन कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव में छोड़ दिया गया है.
पीड़ित परिवार इस मामले को लेकर सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा. साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुना दी. इस सजा के खिलाफ नवजोत सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गये.
सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया. IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में सिद्धू को दोषी ठहरा दिया गया. सिद्धू को सिर्फ एक हजार रुपया जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया. सिद्धू के खिलाफ दायर की गयी पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया है.