अरुण कुमार ने एक किताब लिखी. 70 से ज्यादा पब्लिशर को भेजा लेकिन कोई किताब छापेने को राजी नहीं हुई. अंतत: खुद पैसे उधार लेकर किताब छपवायी और इसे बेचने का नायाब तरीका निकाला.
एक पोस्टर लेकर सड़क पर खड़े हो गये लिखा नया लेखक ही सपोर्ट चाहिए. कई शहरों से होते हुए अरुण अपनी पत्नी दीपिका राठी अरुण के हर संघर्ष में ढाल बनकर साथ रही, जहां कमजोर पड़े वहां सहारा दिया और साथ मिलकर अरुण के संघर्ष में आगे बढ़ रही हैं.