पेरिस : फ्रांस के मतदाताओं ने राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की पार्टी को संसदीय बहुमत की राह पर अग्रसर कर दिया है, लेकिन पहले चरण के मतदान में कम संख्या में मतदाताओं का शामिल होना चिंता का विषय है. अनुमानों में दिखाया गया कि मैक्रों अपनी मध्यमार्गी क्रांति को विस्तार दे रहे हैं. उनकी रिपब्लिक आं मार्शेे (रिपब्लिक ऑन द मूव) पार्टी और उसकी सहयोगी मोदेम रविवार के दूसरे चरण में 577 सदस्यीय नेशनल असेंबली की 400 से 445 के बीच सीटें जीत सकती है. यह आंकडा मैक्रों को संसद में 60 साल में अब तक का सबसे भारी बहुमत देगा.
प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप ने उत्साह के साथ घोषणा करते हुए कहा, फ्रांस वापस आ चुका है. उन्होंने कहा, पिछले माह राष्ट्रपति ने फ्रांस में और अंतरराष्ट्रीय मंच पर विश्वास, इच्छाशक्ति और साहस दिखाया है. लेकिन, सरकार के प्रवक्ता क्रिस्टोफर कास्टनर ने स्वीकार किया कि 49 फीसदी मतदान इस तरह के चुनाव में बीते छह दशक में सबसे कम है और यह चुनाव की नाकामी है. उन्होंने कहा कि मैक्रों कि टीम को उन लोगों तक पहुंचना होगा जिन्होंने चुनाव से दूरी बनाये रखी.
दक्षिणपंथी रिपब्लिकन के पूर्व प्रधानमंत्री एलन जूप ने कहा कि बड़ी संख्या में मतदाताओं का चुनाव से दूर रहना चुनाव से कोफ्त की स्थिति है और मैक्रों को मिली जबरदस्त जीत लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं होगा. बोरडॉक्स के मेयर ने रिपब्लिकन मतदाताओं से रविवार को बड़ी संख्या में बाहर निकलने का आह्वान करते हुए कहा, एक रंगी संसद लोकतंत्रीय बहस के लिहाज से कभी अच्छी नहीं होती. आधिकारिक अंतिम परिणाम बताते हैं कि उनकी सालभर पुरानी रेम और सहयोगी मोदेम 32.2 फीसदी सीटें जीत रही है और दक्षिणपंथी रिपब्लिकन तथा उसके सहयोगियों से आगे है जो 21.56 फीसदी जीतेगी.