राजनीति में महिलाओं की रुचि बढ़ी
जयपुर : राजस्थान से लोकसभा की सीढियां चढ़ने के लिए प्रथम आम चुनाव से ही महिला उम्मीदवारों ने रुचि दिखाई, हालांकि बीच के चुनावों में महिलाओं के कदम कुछ रुके लेकिन फिर तेजी से बढ़ते चले गये. राजा, रजवाडों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान में वर्ष 1952 से लेकर वर्ष 1996 तक सम्पन्न हुए आम चुनाव […]
जयपुर : राजस्थान से लोकसभा की सीढियां चढ़ने के लिए प्रथम आम चुनाव से ही महिला उम्मीदवारों ने रुचि दिखाई, हालांकि बीच के चुनावों में महिलाओं के कदम कुछ रुके लेकिन फिर तेजी से बढ़ते चले गये. राजा, रजवाडों के लिए प्रसिद्ध राजस्थान में वर्ष 1952 से लेकर वर्ष 1996 तक सम्पन्न हुए आम चुनाव में महिला उम्मीदवारों की रुचि बढी लेकिन वर्ष 2004 में इसमे कमी आयी और पांच साल बाद हुए चुनाव में महिला उम्मीदवारों ने जबरदस्त भागीदारी निभाई. वर्ष 2009 में महिला उम्मीदवारों की संख्या दुगनी के आसपास थी.
राज्य निर्वाचन आयोग के उपलब्ध आंकडों के अनुसार वर्ष 1952 में जहां दो महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में थी वहीं 1996 के लोकसभा चुनावों में 25 महिला उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाने के लिये चुनाव मैदान में उतरी थीं और 2009 के लोकसभा चुनावों मे यह संख्या 31 हो गई.
वर्ष 1998 से 2004 तक हुए तीन लोकसभा चुनावों में महिलाओं की संख्या में लगातार गिरावाट देखी गयी. 1998 में 20 महिलाओं ने लोकसभा के लिये नामांकन पर्चा दाखिल किया था, उसके बाद 1999 में यह संख्या 15 रह गई और 2004 के लोकसभा चुनावों मे महिला उम्मीदवारों की संख्या 17 रह गई हांलाकि इसमें दो महिला 1999 के मुकाबले में अधिक थी. उसके बाद 2009 के लोक सभा चुनावों में यह संख्या 31 हो गई.
आंकडों के अनुसार लोकसभा चुनाव में महिलाओं को डाले गये वोटों के प्रतिशत में अब तक सबसे अधिक 1962 के लोकसभा चुनाव में जयपुर से जीती गायत्री देवी को 77.8 प्रतिशत मत मिले थे. उन्हें कुल वैध 250272 मतों में से 192909 मत मिले थे और सबसे कम मत 1996 के लोकसभा चुनावों में अजमेर की निर्दलीय उम्मीदवार आशा निगम को मिले थे. उन्हें कुल वैध मत 442001 में से केवल 823 वोट मिले थे जो 0.2 प्रतिशत था और उनकी जमानत जब्त हो गई थी.
वर्ष 1952 से लेकर वर्ष 2009 तक के लोकसभा चुनावों में 153 महिला उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया लेकिन केवल सत्ताइस महिलाएं ही लोकसभा पहुंच सकी. चुनाव मैदान में उतरी महिला उम्मीदवारों में से 105 महिलाओं की जमानत जब्त हो गई और 21 महिलाओं को हार का सामना करना पडा.
आंकडों के अनुसार प्रथम लोकसभा (1952) चुनाव में राजस्थान से प्रतिनिधित्व करने के लिये दो महिला प्रतिनिधि शारादा बाई ने भरतपुर-सवाईमाधोपुर और रानी देवी भार्गव ने सिरोही-पाली सीट के लिये नामांकन दाखिल किया लेकिन दोनों महिलाओं की जमानत जब्त हो गई.
निर्वाचन विभाग के अनुसार लोकसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं में वर्ष 1962 में जयपुर राज परिवार की गायत्रीदेवी थी, उन्होंने लगातार तीनबार 1962, 1967, 1971 में लोकसभा में जयपुर का प्रतिनिधित्व किया.
वर्ष 1971 में जोधपुर सीट के लिये निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में कृष्णा कुमारी ने राजस्थान से दूसरी महिला सदस्य के रुप में लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया. 1980 में निर्मला कुमारी ने चित्तौडगढ लोकसभा सीट पर कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की.
विभाग के अनुसार वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में उदयपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस की इन्दुबाला सुखाडिया और कांग्रेस की निर्मला कुमार ने चित्तौडगढ से जीत हासिल की. 1989 में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार वसुंधरा राजे ने झालावाड सीट से जीत हासिल कर एक मात्र महिला के रुप में लोकसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया.
वर्ष 1991 में 14 महिलायें लोकसभा में राजस्थान का प्रतिनिधित्व करने के लिये चुनाव मैदान में उतरी लेकिन केवल चार महिलाएं अलवर से भारतीय जनता पार्टी की महेन्द्र कुमारी, भरतपुर से कृष्णेन्द्र कौर, झालावाड से वसुंधरा राजे और उदयपुर से कांग्रेस की गिरिजा व्यास ने जीत हासिल की.
आंकडो के अनुसार वर्ष 1996 के लोकसभा चुनावों मे राजस्थान से लोकसभा में प्रतिनिधित्व करने वाली महिलाओं की संख्या में वृद्वि हुई और 25 महिलाओं ने नामांकन भरा उसमें से 21 महिलाओं की जमानत जब्त हो गई जबकि चार ने फतह हासिल की.
केवल चार महिलाओं भारतीय जनता पार्टी की भरतपुर से महारानी दियासिहं, सवाई माधोपुर से कांग्रेस की उषा देवी, झालावाड से भारतीय जनता पार्टी की वसुंधराराजे और उदयपुर से कांग्रेस की गिरिजा व्यास ने जीत हासिल की. वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवारों की संख्या में फिरसे गिरावट आई और केवल 20 महिलाओं ने लोकसभा का नामांकन दाखिल किया जिसमें से 14 महिलाओं की जमानत जब्त हो गई, तीन महिलाएं को चुनाव में हार का सामना करना पडा और केवल तीन महिलाए सवाई माधोपुर से कांग्रेस की उषा मीणा ने लगातार दूसरी बार, अजमेर से कांग्रेस की प्रभा ठाकुर और झालावाड से वसुंधरा राजे ने लगातार चौथी बार जीत हासिल की.
अगले आम चुनाव 1999 में 15 महिला उम्मीदवारों में से नौ की जमानत जब्त हो गई और तीन चुनाव हार गई जबकि सवाई माधोपुर से भाजपा की जसकोर मीणा, झालावाड से भाजपा की वसुंधरा राजे और उदयपुर से कांग्रेस की गिरिजा व्यास ने जीत हासिल की.
निर्वाचन विभाग के अनुसार 2004 के लोकसभा चुनावमें 17 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरी इनमें से 12 की जमानत जब्त हो गई और तीन को हार का सामना करना पडा. जालौर (सुरक्षित) सीट से भारतीय जनतापार्टी की बी सुशीला और उदयपुर सीट से भाजपा की किरण माहेश्वरी ने जीत अर्जित कर लोकसभा पहुंची.
2009 के लोकसभा चुनाव में 31 महिला उम्मीदवारों ने अपने चुनाव के लिये नामाकंन दाखिल किया जो 1952 से 2004 तक सम्पन्न चुनाव में सबसे ज्यादा थी. 31 महिलाओं में से 23 महिला उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई और 5 महिलाओं को हार का सामना करना. मतदाताओं ने केवल तीन महिलाओं जोधपुर से कांग्रेस की प्रत्याशी चन्द्रेश कुमारी, नागौर से कांग्रेस की ज्योति मिर्धा और चित्तौडगढ से कांग्रेस की उम्मीदवार गिरिजाव्यास को लोकसभा पहुंचाया.