भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जैसे ही एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में रामनाथ कोविंद के नाम की घोषणा की. इस घोषणा के साथ ही लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गयी. राजनीति को हमेशा कवर करने वाले पत्रकारों के लिए भी यह खबर चौंकाने वाला है. पत्रकार बरखा दत्त ने ट्वीट कर कहा है कि ;’यूपीए की प्रतिभा पाटिल तो एनडीए के रामनाथ कोविंद , क्या विपक्षी पार्टी किसी दलित को मैदान में उतारेंगे.’, वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता लिखते हैं कि ‘प्रतिभा पाटिल को यूपीए ने राष्ट्रपति बनाकर यह साबित कर दिया कि कोई अनजाना शख्स भी राष्ट्रपति बन सकता है. भाजपा उसी परम्परा को बढ़ा रही है.’
अभिजीत मजूमदार रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार चुने जाने पर कहते हैं ‘मोदी सरकार ने मीडिया को चौंकाने वाले परंपरा को कायम रखा है. संजय श्री आडवाणी को उम्मीदवार नहीं बनाये जाने पर लिखते हैं, पीएम इन वेटिंग और प्रेसिडेंट इन वेटिंगही रह गये. इन्हें गाड़ी में जगह नहीं मिली’. एक शख्स ने हल्के-फुल्के ट्वीट में व्ययंगकरतेहुए बीजेपीने दलित और राम कार्ड एक साथ खेल दिया.