अच्छे लोगों को पहचानें और उन्हें सम्मान दें

।। दक्षा वैदकर।। हो ली का वक्त था. मयंक के पास ऑफिस में ढेर सारा काम था. ऊपर से बार-बार ऑफिस के सफाई कर्मचारी, आदेशपाल, सिक्योरिटी गार्ड उसके पास होली की बख्शीश लेने आ रहे थे. वह उन्हें टाल रहा था कि अभी चेंज नहीं है, बाद में आना. बाकी लोग तो चले गये, लेकिन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 26, 2014 9:46 AM

।। दक्षा वैदकर।।

हो ली का वक्त था. मयंक के पास ऑफिस में ढेर सारा काम था. ऊपर से बार-बार ऑफिस के सफाई कर्मचारी, आदेशपाल, सिक्योरिटी गार्ड उसके पास होली की बख्शीश लेने आ रहे थे. वह उन्हें टाल रहा था कि अभी चेंज नहीं है, बाद में आना. बाकी लोग तो चले गये, लेकिन एक आदेशपाल बंटी वहीं खड़ा रहा. दरअसल, वह मयंक का व्यक्तिगत काम हमेशा कर दिया करता था. मयंक उसे मना नहीं कर पाया. उसने जेब से 20 रुपये निकाले और उसे दे दिये. बंटी ने कहा, क्या सर.. बस इतने से रुपये. मयंक ने कहा, अभी फिलहाल इतने ही रुपये चेंज हैं.

कल ले लेना. बंटी ने कहा, दो दिन तो ऑफिस बंद रहेगा. मयंक कुछ न बोला. बंटी मुंह लटकाये चला गया. दो दिन की छुट्टी के बाद मयंक ऑफिस आया और इस बात को भूल गया.

एक-दो दिन और गुजर गये. इस बीच वह अपनी बाइक को बार-बार देखता, जो धूल व होली के रंगों से बेहद खराब हो गयी थी. वह कई दिनों से उसे धुलवाने की सोच रहा था, लेकिन वक्त नहीं मिल रहा था. एक रात जब वह पार्किग में पहुंचा, तो उसे बाइक धुली हुई दिखी. वह चमक रही थी. उसने सिक्योरिटी गार्ड से पूछा, मेरी गाड़ी किसने धोयी? गार्ड ने अंगुली से इशारा किया. एक कोने में बंटी अब किसी और की गाड़ी धो रहा था.

मयंक ने उसके पास जा कर पूछा, मेरी गाड़ी तुमने धोयी? मैंने तो तुम्हें कहा ही नहीं था? बंटी ने जवाब दिया, ‘सर, मैं बैठे-बैठे बोर हो रहा था. सोचा सब की गाड़ी धो कर सब को सरप्राइज दूं. इसलिए आपकी गाड़ी भी धो दी. मयंक उसका यह जवाब सुन कर गदगद हो गया. वह मन ही मन शर्मिदा हुआ कि इतने अच्छे व साफ दिल के इंसान को मैंने इतनी कम बख्शीश दी. उसने जेब से 100 रुपये को नोट निकाला और बंटी को दिया. बंटी बोला कि रहने दीजिए. मैंने तो यूं ही साफ कर दी थी. मयंक ने जबरदस्ती उसकी जेब में रुपये डाले और कहा, मैंने तुम्हें उस दिन कम बख्शीश दी थी. ये वही रुपये हैं. मयंक ने गाड़ी स्टार्ट की और जाते-जाते बंटी से कहा, गुड नाइट.. और हां, गाड़ी धोने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. बंटी खड़ा मुसकुरा रहा था.

– बात पते की..

* आप कितने ही व्यस्त क्यों न हों, उन लोगों पर जरूर ध्यान दें, जो आपके कामों को करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. ऐसे रिश्ते अनमोल होते हैं.

* जिनसे आपको फायदा होता है, केवल वही काम न करें. कई बार लोगों को सरप्राइज भी दें. इस तरह आप उनके दिल में खास जगह बनायेंगे.

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