शिप्रा शुक्ला
भाजपा और उसके सहयोगियों ने तमिलनाडु में शराबबंदी की वकालत कर के प्रदेश की जनता में हलचल पैदा कर दी है. तमिलनाडु में कभी शराबबंदी और कभी खुलेआम शराब बिक्री के दौर आते-जाते रहे हैं. 10 सालों से देश में बनी विदेशी शराब की रिटेल बिक्री का एकमात्र अधिकार प्रदेश सरकार के पास है. प्रदेश में टासमेक के नाम से जानी जानेवाली ये दुकानें अच्छा धंधा करती हैं. हर साल खजाना भरने में अहम योगदान देती हैं. सरकार का कहना है कि शराब की बिक्री से होनेवाली आय से प्रदेश का विकास होता है.
दूसरी ओर, भाजपा के सहयोगी दलों और कई सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं कि खुलेआम और हर जगह शराब की बिक्री के चलते प्रदेश का युवा वर्ग दिग्भ्रमित हो रहा है. क्राइम रेट तेजी से बढ़ रहा है. छुट्टियों में सुबह से ही टासमेक की वाइन शॉप में भीड़ लगना इसका प्रमाण है. इसलिए प्रदेश में शराबबंदी जरूरी है.
लोगों की इस बारे में राय अलग है. सेलम में सामाजिक कार्य से जुड़ीं कला स्वामीनाथन कहती हैं कि शराबबंदी का लोगों पर कोई असर नहीं पड़ेगा. पीने के इच्छुक धनी व्यक्ति ब्लैक मार्केट से खरीद कर पीयेंगे और गरीब तबका चोरी से बनायी गयी देशी शराब का सेवन करेगा, जो न सिर्फ उसकी जेब, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत नुकसानदेह हो सकती है. शराबबंदी के दौरान गांवों में बहुत-सी महिलाएं धन की चाह में शराब बनाने के कुटीर धंधे में लग गयीं थी. पुलिस और समाज से दोहरे शोषण में फंसी थी. इसलिए बेहतर होगा कि पूर्ण शराबबंदी के बजाय इसकी राशनिंग की जाए, ताकि लोगों को इसकी लत न लगे.
एक बड़ा वर्ग पूरी तरह से शराबबंदी के पक्ष में है. सामाजिक कार्यकर्ता ससी पेरु माल ने वर्ष 2013 में शराबबंदी के लिए एक महीने तक उपवास किया. स्थानीय लोगों ने उनका साथ दिया. इनका मानना है कि गुजरात के विकास में वहां लागू शराबबंदी का विशेष हाथ है. देखना यह है कि वर्ष 2014 के आम चुनाव के बाद यदि भाजपा की सरकार बनी, तो तमिलनाडु में शराबबंदी होती है या नहीं.
अम्मा वाइन शॉप
तिरुपुर में अभिनेता-नेता विजयकांत ने मुख्यमंत्री जयललिता पर वार किया. कहा कि जिस तरह मुख्यमंत्री ने सभी सरकारी योजनाओं में अम्मा के रूप में अपना नाम जोड़ दिया है, उसी तरह उन्हें टासमेक दुकानों का नाम बदल कर अम्मा वाइन शॉप रख देना चाहिए.