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चीन ने किया अपने सबसे बड़े विध्वंसक पोत का जलावतरण, भारत के लिए चिंता का विषय

बीजिंग : वैश्विक नौसैन्य ताकत बनने की दिशा में बड़े पैमाने पर विस्तार के तहत चीनी नौसेना ने बुधवार को नयी पीढ़ी के अपने सबसे बड़े और 10,000 टन वजनी विध्वंसक पोत (टाइप 055) का जलावतरण किया. चीनी नौसेना के इस नये विध्वंसक पोत का डिजाइन और निर्माण घरेलू स्तर पर किया गया है. इसका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2017 7:29 PM

बीजिंग : वैश्विक नौसैन्य ताकत बनने की दिशा में बड़े पैमाने पर विस्तार के तहत चीनी नौसेना ने बुधवार को नयी पीढ़ी के अपने सबसे बड़े और 10,000 टन वजनी विध्वंसक पोत (टाइप 055) का जलावतरण किया. चीनी नौसेना के इस नये विध्वंसक पोत का डिजाइन और निर्माण घरेलू स्तर पर किया गया है. इसका शंघाई के जियांगनान शिपयार्ड (ग्रुप) में जलावतरण किया गया. चीन इस तरह के चार युद्धपोत तैयार कर रहा है.

सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ ‘ की खबर के अनुसार, यह जहाज चीन के नयी पीढ़ी के विध्वंसक जहाजों में से पहला है. यह नयी वायु रक्षा प्रणाली, मिसाइल रोधी, पोत रोधी एवं पनडुब्बी रोधी हथियारों से लैस है. यह जहाज देश की नौसैन्य शस्त्र प्रणाली में सुधार और नौसेना को मजबूत एवं आधुनिक बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. योजना के अनुसार, जहाज पर कई परीक्षण किये जायेंगे.

चीन का यह युद्धपोत भारत के प्रोजेक्ट (15बी ‘विशाखापट्त्तटनम’ क्लास युद्धपोत) से कहीं ज्यादा बड़ा और शक्तिशाली है, जिसे अभी तक भारतीय सेना में शामिल भी नहीं किया गया है. भारत के अत्याधुनिक युद्धपोतों का वजन पूरी तरह सशस्त्र कर दिए जाने पर 8,200 टन रहनेवाला है.भारत का युद्धपोत 50 मिसाइलों से लैस होगा तथा सतह से हवा में मार करने में सक्षम होगा.वहीं, चीन के इस विशाल युद्धपोत पर कुल 120 मिसाइलें तैनात की जा सकेंगी, जिनकी वजह से यह दुनिया के सबसे ज्यादा सशस्त्र युद्धपोतों में से एक होगा. गौरतलब है कि चीन ने पिछले पांच साल में कई नये आधुनिक युद्धपोत अपनी सेना में शामिल किये हैं. भारत के लिए चिंता की बात यह भी है कि एक ओर जहां भारत ने इस तरह के सात युद्धपोत बनाने की योजना बनायी है, वहीं चीन इस क्लास के कम से कम 18 युद्धपोतों की योजना पर काम कर रहा है.

दक्षिणी चीन सागर के विवादित क्षेत्र में मानव-निर्मित द्वीपों पर अपनी मौजूदगी को लेकर चीन और अमेरिका के बीच वाकयुद्ध चल रहा है. अमेरिका के लिए नौसैनिक सहयोग के लिहाज से भारत बेहद अहम सहयोगी है और वह भी चीनी सेना के विस्तार, विशेषकर हिंद महासागर को लेकर काफी चिंतित है. चीन पिछले पांच सालों में हिंद महासागर में पनडुब्बियों (जिनमें परमाणु पनडुब्बियां भी शामिल हैं), युद्धपोतों तथा सहायक पोतों की लगातार तैनाती करता रहा है.

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