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अमेरिका यात्रा के बाद चीन को दिखी पीएम मोदी की ताकत, तो पाकिस्तान की दिखी बौखलाहट

नयी दिल्ली/बीजिंग/इस्लमाबादः प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर भार्इ मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद विरोध का हथियार डालते हुए पड़ोसी देश चीन को उनकी ताकत का एहसास हो गया है. तभी तो चीन के मीडिया ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक के बाद दोनों देशों के संबंधों ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2017 8:08 AM

नयी दिल्ली/बीजिंग/इस्लमाबादः प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर भार्इ मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद विरोध का हथियार डालते हुए पड़ोसी देश चीन को उनकी ताकत का एहसास हो गया है. तभी तो चीन के मीडिया ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक के बाद दोनों देशों के संबंधों ने नयी ऊंचाइयां छुईं और इससे कई सकारात्मक नतीजे सामने आये हैं. मोदी की अमेरिकी यात्रा को लेकर चीन के सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने पीएम मोदी की तारीफ में कशीदे गढ़े हैं. उसने अपने एक समाचार विश्लेषण लेख में कहा है कि ट्रंप के जनवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभालने के बाद से यह किसी राष्ट्र प्रमुख के साथ ट्रंप का पहला वर्किंग डिनर था.

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वहीं, प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट भी दिखायी देने लगी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मोदी की मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने सीमापार आतंकवाद को लेकर भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान की आलोचना की है. उसने कहा कि इसमें तनाव के मुख्य स्रोतों पर ध्यान नहीं दिया गया और यह पहले से ही बनी तनावपूर्ण स्थिति को बढ़ाता है. डोनाल्ड ट्रंप आैर प्रधानमंत्री मोदी के बयान में पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद पर रोक लगाने को कहा गया.

चीन के सरकारी अखबार शिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया है कि खुद को भारत का सच्चे दोस्त कहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पूर्ववर्ती बराक ओबामा के शासनकाल में गहराये उन संबंधों को और मजबूत किया, जिनके लिए उससे पहले जॉर्ज डब्ल्यू बुश एवं बिल क्लिंटन ने योगदान दिया था. लेख के अनुसार, इस दौरे को विशेषज्ञ इस बात को ध्यान में रखकर शानदार बता रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप के जलवायु परिवर्तन से संबंधित पेरिस समझौते से पीछे हटने के साथ भारत पर समझौते के कायार्न्वयन के बदले पैसे मांगने का आरोप लगाने के बाद दोनों देशों के बीच विवाद हुआ था.

शिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने आतंकवाद को लेकर मजबूत सहयोग सुनिश्चित करने का प्रण लिया. साथ ही, ट्रंप ने पाकिस्तान को संदेश भी दिया कि वह 26/11 के मुंबई हमले, पठानकोट एवं पाकिस्तान स्थित समूहों द्वारा किये गये दूसरे सीमा पार आतंकी हमलों के गुनहगारों को तेजी से सजा दे.

अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के बाद पाकिस्तान में बौखलाहट का माहौल देखा जा रहा है. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में यहां कहा कि वाशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में भारत को क्षेत्र में शांति के प्रतिकूल उसकी नीतियों को बदलने की दिशा में प्रेरित करने का मौका गंवा दिया गया. इसमें कहा गया कि संयुक्त बयान से दक्षिण एशिया क्षेत्र में रणनीतिक स्थिरता एवं स्थायी शांति के उद्देश्य को हासिल करने में बिल्कुल मदद नहीं मिलेगी.

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया कि क्षेत्र में तनाव एवं अस्थिरता के प्रमुख स्रोतों पर ध्यान ना देकर बयान से पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति को बढ़ावा मिला. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा के दौरान दोनों देशों ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और डी-कंपनी जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ सहयोग मजबूत करने का प्रण लिया था. उसने पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने को कहा था कि वह अपनी सरजमीं का इस्तेमाल दूसरे देशों के खिलाफ आतंकी हमलों के लिए ना होने दे.

विदेश मंत्रालय ने भारत-अमेरिका के संयुक्त बयान की आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर में भारत द्वारा लगातार किया जा रहा मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन और भारत में धार्मिक अल्पसंख्यकों को दी जा रही सरकार समथर्ति यातना की जगह बुनियादी मानव मर्यादा, जीवन, संपत्ति और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के सम्मान को लेनी चाहिए.

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