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चीनी राष्ट्रपति की धमकी-हांगकांग में हस्तक्षेप ”लक्ष्मण रेखा” लांघने के समान

हांगकांग : हांगकांग में चीन के शासन 20 साल पूरा होने के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कड़ी चेतावनी दी कि लोकतंत्र के नाम पर हांगकांग में चीन की संप्रभुता को ‘खतरा पैदा करने’ का कोई प्रयास ‘लक्ष्मण रेखा ‘ लांघना होगा और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती. ब्रिटेन द्वारा हांगकांग […]

हांगकांग : हांगकांग में चीन के शासन 20 साल पूरा होने के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शनिवार को कड़ी चेतावनी दी कि लोकतंत्र के नाम पर हांगकांग में चीन की संप्रभुता को ‘खतरा पैदा करने’ का कोई प्रयास ‘लक्ष्मण रेखा ‘ लांघना होगा और इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती. ब्रिटेन द्वारा हांगकांग को चीन के सुपुर्द किये जाने की 20वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक समारोह में चीन के राष्ट्रपति ने कहा कि हांगकांग पहले कभी इतना स्वतंत्र नहीं था जितना आज है. साथ ही उन्होंने बीजिंग शासन के लिए ‘अनुचित चुनौतियां’ खड़ी किए जाने के खिलाफ आगाह भी किया. उन्होंने यह चेतावनी हांगकांग में बीजिंग समर्थक नयी मुख्य कार्यकारी कैरी लैम के शपथ ग्रहण के मौके पर आयोजित समारोह में दी.

सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के महासचिव शी ने कहा, ‘राष्ट्रीय संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा पैदा करने, केंद्रीय सरकार के अधिकार एवं हांगकांग विशेष प्रशासित क्षेत्र के मौलिक कानून के प्राधिकार को चुनौती देना या मुख्य क्षेत्र में घुसपैठ तथा नुकसान पहुंचाने के लिए हांगकांग के इस्तेमाल करने का कोई भी प्रयास लक्ष्मण रेखा लांघना होगा और इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं होगी.’ चीन समर्थक समिति द्वारा लैम का चयन किया गया है.अभी से इस निर्णय की आलोचना की जा रही है और कई लोग इसे शहर में चीन की एक कठपुतली की तैनाती बता रहे हैं. वहीं, कुछ लोग लगभग 80 लाख लोगों की स्वतंत्रता पर बीजिंग की कठोर होती पकड़ से नाराज हैं.

चीनी राष्ट्रपति की यह प्रतिक्रिया युवा कार्यकर्ताओं के आत्मनिर्णय या हांगकांग के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग करने के बाद आयी है. युवा कार्यकर्ताओं की मांग को ले कर चीन की त्योरियां तनी हुई हैं. उन्होंने कहा कि हांगकांग के पास ‘अधिक इतने व्यापक लोकतांत्रिक अधिकार हैं जितने पहले कभी उसके पास नहीं थे. ‘लैम ने शी से हाथ मिलाने से पहले, देश के हारबरफ्रंट सम्मेलन केंद्र में चीन के राष्ट्रीय ध्वज के नीचे पद की शपथ ली. ब्रिटेन ने एशिया के वित्तीय केंद्र का नियंत्रण वर्ष 1997 में चीन के हाथ में दे दिया था.

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